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जजों की नियुक्ति के लिए SC कॉलेजियम ने बदली परंपरा, उठाया ऐतिहासिक कदम

December 24, 2024

नई दिल्‍ली । सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम(Supreme Court Collegium) ने रविवार को हाई कोर्ट के जजों(judges of the high court) के साथ बातचीत कर एक ऐतिहासिक कदम(Historical step) उठाया। कॉलेजियम का मानना है कि जजों की नियुक्ति के लिए फाइलों में दर्ज सूचनाओं के बजाय उम्मीदवारों से व्यक्तिगत बातचीत के जरिए उनकी योग्यता और व्यक्तित्व को समझना आवश्यक है। यह पहल परंपरागत प्रक्रिया से हटकर न्यायिक नियुक्तियों में पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बढ़ावा देने की दिशा में एक नई शुरुआत मानी जा रही है। गौरतलब है कि यह कदम तब उठाया गया जब इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक जज जस्टिस शेखर कुमार यादव के विवादास्पद बयानों को लेकर न्यायपालिका में गंभीर चिंताएं उठीं। उन्होंने विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के एक कार्यक्रम में धर्म और न्याय से संबंधित टिप्पणी की, जिसे संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ माना गया।


जिसमें मुख्य जज (सीजेआई) संजीव खन्ना और अन्य सदस्य जस्टिस भूषण आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की सदस्यता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने राजस्थान, इलाहाबाद और बॉम्बे हाई कोर्ट के लिए नामित न्यायिक अधिकारियों और वकीलों से मुलाकात की। कॉलेजियम का मानना था कि फाइलों में दर्ज सूचनाओं के बजाय उम्मीदवारों से व्यक्तिगत बातचीत के जरिए उनकी योग्यता और व्यक्तित्व को समझना आवश्यक है।

न्यायपालिका में विवाद से बाद से सक्रिय हुआ कॉलेजियम

इससे पहले जस्टिस यादव ने वीएचपी के कार्यक्रम में कहा था कि “भारत को केवल हिंदू ही ‘विश्व गुरु’ बना सकता है” और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने की वकालत की थी। इस बयान की व्यापक आलोचना हुई और विपक्षी सांसदों ने उनके खिलाफ महाभियोग की मांग उठाई।

17 दिसंबर को कॉलेजियम ने जस्टिस यादव से मुलाकात की और उनकी टिप्पणियों पर चर्चा की। मुख्य जज ने उन्हें फटकार लगाते हुए न्यायिक निष्पक्षता बनाए रखने और संविधान के मूल्यों का पालन करने की आवश्यकता पर बल दिया। हालांकि, उनके भविष्य को लेकर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है लेकिन उनके ट्रांसफर और आंतरिक जांच को लेकर तलवार लटकी है।

कॉलेजियम की यह पहल न्यायिक प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने का प्रयास है। यह परंपरा 2018 में तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा के कार्यकाल में शुरू हुई थी लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया गया था। अब इसे फिर से शुरू करते हुए कॉलेजियम ने व्यक्तिगत संवाद के माध्यम से जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को नई दिशा दी है।

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