
नई दिल्ली । कर्नाटक (Karnataka)के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा(Former Chief Minister BS Yediyurappa) को हाई कोर्ट (High Court)से बड़ा झटका (Big shock)लगा है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ पोस्को एक्ट के तहत दर्ज मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया है। इसके अलावा हाई कोर्ट ने पूर्व सीएम के खिलाफ निचली अदालत के कथित अपराध का संज्ञान लेने और समन जारी करने के आदेश को जारी रखा। हालांकि, हाईकोर्ट ने निचली अदालत को निर्देश भी दिया कि येदियुरप्पा की उपस्थिति पर तब तक जोर न दिया जाए, जब तक यह अत्यंत आवश्यक न हो।
कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस एम आई अरुण ने मामले को रद्द करने से इनकार करते हुए इस बात पर भी जोर दिया कि येदियुरप्पा को इस मामले से बरी होने के लिए निचली अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र हैं। गौरतलब है कि जस्टिस अरुण का यह वर्तमान आदेश 7 फरवरी के उच्च न्यायालय के एक पूर्व आदेश के बाद आया है, जब न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली एकल पीठ ने येदियुरप्पा के खिलाफ अपराधों का संज्ञान लेने वाले निचली अदालत के पहले आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि यह “बिना सोचे-समझे” पारित किया गया था। हालाँकि, उस समय न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने जाँच और अंतिम रिपोर्ट को अपरिवर्तित छोड़ दिया था और मामले को नए सिरे से विचार के लिए निचली अदालत को वापस भेज दिया था।
जस्टिस नागप्रसन्ना के इस आदेश के बाद निचली अदालत ने 28 फरवरी को एक नया आदेश जारी किया था। इसके बाद अंतरिम आदेश के जरिए कुछ समय के लिए रोक लगा दी।
क्या है मामला?
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के ऊपर मार्च 2024 में एक 17 वर्षीय लड़की की मां ने बच्ची के साथ गलत काम करने का आरोप लगाया था। नाबालिग की मां की शिकायत के मुताबिक येदियुरप्पा ने फरवरी 2024 में बेंगलुरु स्थित अपने आवास पर एक बैठक के दौरान उनकी बेटी का यौन उत्पीड़न किया था।उसने अपनी शिकायत में कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री ने पैसे का लालच देकर मामले को दबाने की कोशिश की थी।
एक नाबालिग के यौन उत्पीड़न के मामले में पोक्सो अधिनियम की धारा 8 और आईपीसी की धारा 354(ए) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। बाद में मामला सीआईडी को सौंप दिया गया, जिसने फिर से प्राथमिकी दर्ज की और आरोप पत्र दायर किया।
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