मुंबई। शशि कपूर (Shashi Kapoor) अपने जमाने में बॉलीवुड के सुपरस्टार थे। अपनी अदाकारी से वह फिल्मों में जान डाल देते थे। उन्होंने देश-विदेश में अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया था और इंडस्ट्री में अलग पहचान बनाई। जब शशि कपूर (Shashi Kapoor) ने इस दुनिया को अलविदा कहा, तब हिंदी सिनेमा को बहुत बड़ा झटका लगा था। आज भी उनकी फिल्में और डायलॉग लोगों के दिलों में जिंदा हैं।
शशि कपूर का करियर
शशि कपूर अपने करियर की शुरुआत एक बाल कलाकार के रूप में की थी। उन्होंने अपने पिता पृथ्वीराज कपूर द्वारा निर्देशित और निर्मित नाटकों में अभिनय किया और बाद में 1940 के दशक के अंत में शशिराज के नाम से बाल कलाकार के रूप में शुरुआत की। बाल कलाकार के रूप में उनकी सबसे प्रसिद्ध भूमिकाएं आग (1948) और आवारा (1951) में थीं, जहां उन्होंने अपने बड़े भाई राज कपूर द्वारा निभाए गए किरदारों की युवा भूमिकाएं निभाई थी।
शशि को जब काम मिलना बंद हो गया
सिनेमा को इतनी हिट फिल्में देने के बाद एक वक्त ऐसा आया, जब शशि कपूर के करियर को भी ग्रहण लग गया। एक समय उन्हें काम मिलना बंद हो गया था। फिल्मों में काम न मिलने की वजह से वह पूरी तरह से निराश हो गए था, लेकिन उन्हें अपना घर तो चलाना ही था और इसके लिए पैसों की जरूरत थी। ऐसे में शशि कपूर को अपनी पसंदीदा स्पोर्ट्स कार बेचनी पड़ गई थी। इसके अलावा उनकी पत्नी जेनिफर को भी पैसों की तंगी के चलते अपना सामान बेचना पड़ा था।
इस बात का जिक्र शशि कपूर के बेटे कुणाल ने अपने एक इंटरव्यू में किया था। इतनी मुश्किलें देखने के बाद 70 के दशक में शशि कपूर का समय फिर आया और तब वह एक ऐसा सितारा बनकर चमके जिसकी चमक के आगे बाकी सितारे भी फीके लगने लगे थे। आज भी शशि कपूर की फिल्मों के कई दीवाने हैं। एक ओर जहां शशि कपूर ने कई सुपरहिट फिल्में दी थीं, वहीं उनकी कुछ विवादित फिल्में भी रहीं।
1958 में की जेनिफर से शादी
1958 में शशि कपूर और जेनिफर की शादी हुई। हालांकि कपूर खानदान अपने लिए विदेशी बहू को लेकर बहुत सहज नहीं हो पाया था पर शशि कपूर ने सबको मना लिया। एक साल के अंदर शशि कपूर पिता बन गए और उनके पिता ने आर्थिक दिक्कतों और स्वास्थ्यगत समस्याओं के चलते पृथ्वी थिएटर को बंद करने का फैसला कर लिया था। लेकिन जेनिफर ने शशि कपूर को इस कदर प्यार दिया कि उनके मरने के बाद भी शशि इस प्यार से बाहर नहीं निकल पाए।
जेनिफर को हुआ कैंसर
1982 में जेनिफर कैंसर की चपेट में आ गईं। शशि कपूर ने मुंबई से लेकर लंदन तक के डॉक्टरों से इलाज कराया लेकिन 7 सितंबर, 1984 को जेनिफर का निधन हो गया। इसके साथ ही शशि कपूर की दुनिया में एक ऐसा सूनापन आ गया जो कभी नहीं भरा। पत्नी के जाने के गम में वे घंटों तक अकेले बैठकर रोते। 4 दिसंबर, 2017 तक अपनी मौत के समय तक शशि कपूर, जेनिफर की यादों के साथ जीवित रहे।
जब रेखा को कह दिया था काली-फूहड़
शशि कपूर से जुड़ा ये किस्सा काफी चर्चाओं में रहा था। अब ये तो हर कोई जानता है कि सदाबहार अभिनेत्री रेखा को फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत और कई आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। 14 साल की उम्र से ही रेखा ने फिल्मों की दुनिया में कदम रख दिया था और उस वक्त वो सांवली सी थी और उनका वजन भी बढ़ा हुआ था। जिस वजह से कोई भी निर्देशक उन्हें अपनी फिल्म में नहीं लेना चाहता था। लेकिन निर्देशक मोहन सहगल ने उन्हें अपनी फिल्म में एक्ट्रेस के तौर पर लिया। फिल्म के प्रीमियर में रेखा पहुंची थीं और इसी में शशि कपूर अपनी पत्नी जेनिफर के साथ पहुंचे थे।
शशि कपूर की नजर जब रेखा पर पड़ी तो उनके मुंह से निकला, ‘ये मोटी, काली और फूहड़ एक्ट्रेस कैसे इंडस्ट्री में अपना मुकाम बनाएगी?’ शशि कपूर ने ये बात मोहन सहगल से कही थी लेकिन जेनिफर को एहसास हुआ कि रेखा ने ये बात सुन ली थी। बात को संभालने के लिए जेनिफर ने कहा था कि आने वाले वक्त में ये लड़की इंडस्ट्री पर राज करेगी और उनकी बात सच हो गई। इस बात को वरिष्ठ पत्रकार और लेखक यासिर उस्मान ने रेखा की जीवनी ‘रेखा: कैसी पहेली जिंदगानी’ में लिखी है। रेखा और शशि कपूर ने कई फिल्मों में साथ में काम किया था।
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