इंदौर। शिवराज सरकार ने पिछले कार्यकाल में निजी स्कूलों की मनमानी फीस को नियंत्रित करने के लिए पांच दिसंबर-2017 को विधानसभा से मध्य प्रदेश निजी विद्यालय फीस विधेयक-2017 पारित कराया था।
28 फरवरी 2018 को इसे लागू किया गया, लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग अब तक इसके नियम ही नहीं बना पाया है। 29 सितंबर को मप्र हाईकोर्ट की जबलपुर मुख्य पीठ ने सरकार को नियम बनाने के लिए चार सप्ताह का मौका दिया था।
बताया जा रहा है कि अब सरकार इस मामले में तेजी के साथ कार्रवाई करने जा रही है।मध्य प्रदेश में स्कूलों की फीस नीतिगत मामला है। सरकार इस पर फैसला करेगी, लेकिन निजी स्कूल अनाप-शनाप फीस नहीं ले सकते।
इसके लिए हम कानून बनाने की तैयारी कर रहे हैं। तब तक आप त्वरित निराकरण के लिए कुछ कीजिए, ताकि आम जनता पर अतिरिक्त बोझ न आए। ये निर्देश मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने शनिवार को वीडियो कांफे्रंसिंग के दौरान इंदौर कमिश्नर डॉ. पवन शर्मा को दिए।
उन्होंने निजी अस्पतालों की फीस की दरें भी तय करने के लिए कहा गौरतलब है कि शुक्रवार को मुख्यमंत्री के इंदौर दौरे के दौरान पीपल्याहाना क्षेत्र की महिला कंचन मसंद ने उनकी कार रोककर स्कूल द्वारा अधिक फीस लेने की पीड़ा बताई थी।
मुख्यमंत्री ने कार रुकवाकर महिला की बात सुनी और मामले को गंभीरता से लिया। वीडियो कांफ्रेंसिंग के बाद कमिश्नर और कलेक्टर मनीष सिंह ने तय किया कि स्कूलों की फीस के मुद्दे पर सोमवार को निजी स्कूलों के पालक संघों की बैठक बुलाई जाएगी।
बताया जाता है कि शनिवार को अधिकारियों ने पी़ि़डत महिला से बात करने के लिए बुलाया, लेकिन इंदौर से बाहर होने के कारण उन्होंने आने में असमर्थता जता दी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को अतिवृष्टि की समीक्षा के लिए सीएम हाउस में बुलाई बैठक में कहा कि स्कूल-कॉलेजों की फीस को लेकर कानून बनाने की तैयारी है।
उन्होंने अधिकारियों से कहा कि नीतिगत निर्णय करने के लिए इस विषय से जु़ड़े सभी पहलुओं पर विचार करें। इसके बाद सरकार फैसला लेगी।
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