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सिद्धू के सियासी दांव से पंजाब में मचा संग्राम, क्‍या इन नाराजगी को दूर कर पाएगी कांग्रेस?

September 29, 2021

नई दिल्‍ली। पंजाब कांग्रेस में नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के इस्तीफे (Resignation) के बाद मंगलवार को खलबली मच गई है। कांग्रेस (Congress) जिस वक्त कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) और जिग्नेश मेवाणी (Jignesh Mevani) की स्वागत की तैयारियों में जुटी थी, उसी दौरान नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद (Punjab Congress President) से इस्तीफा (resignation) दे दिया। नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के त्यागपत्र के बाद मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Chief Minister Charanjit Singh Channi) सरकार में शामिल कई मंत्रियों और प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारियों ने भी सिद्धू के समर्थन में इस्तीफा दे दिया।
उधर, कांग्रेस पंजाब (Congress Punjab) में हुए राजनीतिक घटनाक्रम पर चुप्पी साधे हुए है। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने अभी सिद्धू का इस्तीफा मंजूर नहीं किया है। पार्टी ने प्रदेश कांग्रेस नेताओं से कहा है कि वह पहले अपने स्तर पर इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश करें। पर, सिद्धू ने जिस तरह अपने पद से इस्तीफा देकर पार्टी को मुश्किल में डाला है, उससे पार्टी नेतृत्व नाराज है। पार्टी के एक नेता के मुताबिक सिद्धू को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।


सिद्धू की नाराजगी के कारण
पहला : सुखजिंदर सिंह रंधावा
नवजोत सिंह सिद्धू सुखजिंदर सिंह रंधावा को उप मुख्यमंत्री बनाए जाने से नाराज हैं। रंधावा जाट सिख हैं। ऐसे में भविष्य में उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना ज्यादा है। रंधावा के पास सबसे अहम गृह मंत्रालय की भी जिम्मेदारी है।

दूसरा : करीबियों का मंत्री नहीं बनना
नवजोत सिंह सिद्धू की कोशिश थी कि कैप्टन को हटाने के बाद वह अपने सभी करीबियों को लाल बत्ती दिलाकर उनका अहसान उतार दें। पर, पार्टी हाईकमान ने उनके कई बार कहने के बावजूद कुलजीत सिंह नागरा और सुरजीत सिंह धीमान को मंत्री नहीं बनाया।

तीसरा : राणा गुरजीत सिंह
सिद्धू राणा गुरजीत सिंह को मंत्री बनाए जाने के खिलाफ थे। उन्होंने इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना रखा था। उनकी दलील थी कि राणा पर खनन घोटाले में शामिल होने के आरोप हैं। इसलिए उन्होंने कैप्टन मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया था। पर, पार्टी पर क्षेत्रीय संतुलन बनाने के लिए उन्हें मंत्री बनाना पड़ा।

चौथा : अफसरशाही
सिद्धू को उम्मीद थी कि चरणजीत सिंह चन्नी उनके मर्जी के मुताबिक फैसले लेंगे। पर, मुख्यमंत्री बनने के बाद चन्नी ने अपनी मर्जी से डीजीपी व मुख्यसचिव नियुक्त किए। सिद्धू ने चन्नी से इन अफसरों की नियुक्ति पर नाराजगी भी जताई, पर चन्नी ने उनकी राय को नजरअंदाज कर दिया।

पांचवां : सीएम नहीं बनाना
सिद्धू की नाराजगी की सबसे बड़ी वजह मुख्यमंत्री नहीं बनना है। सिद्धू पिछले साढ़े चार साल से मुख्यमंत्री बनने की कोशिश में जुटे थे। इसके लिए उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर मोर्चा भी खोला। पर जब वह उन्हें पद से हटाने में कामयाब हुए, तो चन्नी मुख्यमंत्री बन गए।

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