
नई दिल्ली । बिहार (Bihar) में मतदाता सूची (voter list) के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ इंडिया गठबंधन (India Alliance) की एकजुटता पश्चिम बंगाल (West Bengal) में बिखर सकती है। तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) जहां एसआईआर का खुलकर विरोध कर रही है, वहीं कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां बेहद सतर्क प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कांग्रेस पूरी तरह एसआईआर के खिलाफ नहीं है। पार्टी ने चुनाव आयोग को एसआईआर पर कुछ सुझाव दिए हैं। आयोग सुझाव नहीं मान रहा है, इसलिए पार्टी एसआईआर की प्रक्रिया का विरोध कर रही है।
पश्चिम बंगाल में 2026 की पहली छमाही में विधानसभा चुनाव है। ऐसे में बिहार की तरह वहां भी राजनीतिक माहौल गर्म है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 2011 से लगातार सत्ता में है। कांग्रेस, लेफ्ट और तृणमूल कांग्रेस के इंडिया गठबंधन के घटक दल होने के बावजूद ममता बनर्जी अपने दम पर चुनाव लड़ती रही है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस विपक्ष की भूमिका में है। इसलिए, पार्टी फूंक-फूंककर कदम रख रही है। वहीं, तृणमूल और भाजपा इस मुद्दे पर आमने-सामने हैं।
बीच का रास्ता अपना रही कांग्रेस
बंगाल में इस मुद्दे पर कांग्रेस न तो तृणमूल के साथ खड़ा दिखना चाहती है और न ही विरोध करना चाहती है। इसलिए, पार्टी बीच का रास्ता अपना रही है। पार्टी रणनीतिकार मानते हैं कि बिहार में एसआईआर के खिलाफ तृणमूल इंडिया गठबंधन के साथ खड़ी थी। रणनीतिकार मानते हैं कि 12 राज्यों में एसआईआर संसद के शीतकालीन सत्र में बड़ा मुद्दा बन सकता है।
प्रक्रिया के वक्त और तरीके का विरोध
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शुभंकर सरकार कहते हैं कि हम तृणमूल की तरह एसआईआर का नहीं बल्कि इस प्रक्रिया के वक्त और तरीके का विरोध कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव में कुछ माह बाकी है, ऐसे में इतनी बड़ी प्रक्रिया के लिए वक्त कम है। बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि यह बेहद दोषपूर्ण और मताधिकार से वंचित करने वाली है।
तृणमूल ने प्रक्रिया को साजिश करार दिया
तृणमूल कांग्रेस ने एसआईआर को एक पूर्व नियोजित साजिश करार देते हुए कहा कि इसके तहत हजारों मतदाताओं के नाम काटे जा रहे हैं। तृणमूल के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कोलकाता में दावा किया कि पार्टी ने 2002 की मतदाता सूची और हाल ही में आयोग की वेबसाइट पर अपलोड की गई सूची के बीच गंभीर अनियमितताएं पाई हैं।
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