
लेह । लद्दाख (Ladakh) को पूर्ण राज्य का दर्जा देने समेत कई अन्य मुद्दों पर आंदोलन करने वाले क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सूत्रों के अनुसार, विदेशी फंडिंग मामले (Foreign funding matters) में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पिछले दो महीनों से सोनम वांगचुक के संस्थान, हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लर्निंग (HIAL) की जांच कर रहा है। हालांकि, अभी तक कोई प्रारंभिक जांच (पीई) या नियमित मामला दर्ज नहीं किया गया है। इसके अलावा, एक पाकिस्तान एंगल भी सामने आया है। दरअसल, छह फरवरी को वांगचुक ने पाकिस्तान की यात्रा की थी, जिसके बाद एजेंसी इस यात्रा की समीक्षा कर रही है।
सीबीआई सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि यह जांच विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के कथित उल्लंघन के विरुद्ध की जा रही है। अगस्त में, लद्दाख प्रशासन ने हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लर्निंग (HIAL) को दी गई भूमि आवंटन रद्द कर दिया था। भूमि आवंटन रद्द करते हुए, लद्दाख प्रशासन ने कहा कि भूमि का इस्तेमाल उस उद्देश्य के लिए नहीं किया जा रहा था जिसके लिए इसे मूल रूप से आवंटित किया गया था और कोई पट्टा समझौता नहीं किया गया था। सीबीआई जांच अब भी जारी है, और इसके पूरा होने के बाद सीबीआई द्वारा एक प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की जा सकती है।
केंद्र सरकार ने छठी अनुसूची के कार्यान्वयन को लेकर लेह में बुधवार को हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के लिए वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया था। गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने 10 सितंबर को छठी अनुसूची और लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर भूख हड़ताल शुरू की थी। यह सर्वविदित है कि भारत सरकार इन्हीं मुद्दों पर शीर्ष निकाय लेह और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ सक्रिय रूप से बातचीत कर रही है। उच्चाधिकार प्राप्त समिति और उप-समिति के औपचारिक माध्यमों से उनके साथ कई बैठकें हुईं और नेताओं के साथ कई अनौपचारिक बैठकें भी हुईं।”
मंत्रालय ने आगे कहा, “इस तंत्र के जरिए से बातचीत की प्रक्रिया ने लद्दाख अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण को 45% से बढ़ाकर 84% करने, परिषदों में 1/3 महिलाओं को आरक्षण प्रदान करने और भोटी और पुर्गी को आधिकारिक भाषा घोषित करने जैसे अभूतपूर्व परिणाम दिए हैं। इस प्रक्रिया के साथ, 1800 पदों पर भर्ती भी शुरू की गई। हालांकि, कुछ राजनीति से प्रेरित व्यक्ति एचपीसी के तहत हुई प्रगति से नाखुश थे और बातचीत की प्रक्रिया को विफल करने का प्रयास कर रहे थे।”
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