
नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. हाल ही में राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जज विशाल गोगने ने ईडी की चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार किया था. हालांकि, कोर्ट ने कहा था कि ईडी चाहे तो जांच जारी रख सकती है. अब ट्रायल कोर्ट के फैसले को ईडी ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए अपील की है.
ईडी ने ट्रायल कोर्ट के निष्कर्षों पर सवाल उठाया है और शिकायत पर आगे बढ़ने से इनकार करने के फैसले की अपीलीय समीक्षा की मांग की है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी चार्जशीट में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, सुनील भंडारी, यंग इंडियन और डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड को नामजद किया था.
बता दें कि 3 दिन पहले ही इस मामले में सोनिया, राहुल और अन्य को बड़ी राहत मिली थी. मामले में ईडी की ओर से दाखिल चार्जशीट पर राउज एवेन्यू कोर्ट ने संज्ञान लेने से इनकार किया था. कांग्रेस इसे बड़ी राहत के रूप में देख रही थी.ईडी ने 9 अप्रैल को आरोपियों के खिलाफ PMLA के तहत चार्जशीट दायर की थी.
कोर्ट ने EOW की ओर से दायर अर्जी पर फैसला दिया था. साथ ही ये भी कहा था कि एफआईआर से जुड़ी जानकारी आरोपियों को दी जा सकती है. नवंबर 2025 में ईडी ने PMLA की धारा 66(2) के तहत दिल्ली पुलिस को जानकारी दी थी. उसके आधार पर पुलिस की ईओडब्ल्यू ने 3 अक्टूबर 2025 को सोनिया, राहुल और अन्य के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज की थी.
ये मामला राजनीतिक और कानूनी विवाद की जड़ बन गया है. ये 2012 में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत से शुरू हुआ था. यह एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) कंपनी से जुड़ा है, जो नेशनल हेराल्ड अखबार को चलाती थी. AJL पर कर्ज का बोझ था. फिर कांग्रेस ने इसे 90.25 करोड़ रुपये का ब्याज-मुक्त कर्ज दिया.
इसके बाद ये कर्ज यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को महज 50 लाख रुपये में ट्रांसफर कर दिया गया. इसके जरिए AJL की अरबों रुपये की संपत्तियां YIL के कंट्रोल में चली गईं. ED का कहना है कि यह साजिश थी, जिसमें सरकारी संपत्ति को निजी लाभ के लिए हड़पा गया. इसमें धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग हुई.
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