
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जेल में बंद जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक को सात मार्च को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए तिहाड़ जेल से जम्मू की एक अदालत में पेश होने का निर्देश दिया. जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि जम्मू जम्मू सेशन वीडियो कॉन्फ्रेंस प्रणाली से अच्छी तरह सुसज्जित है और वर्चुअल तरीके से पूछताछ हो सकती है.
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने 1989 में पूर्व केंद्रीय मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण के मामले और 1990 के श्रीनगर गोलीबारी मामले की सुनवाई जम्मू से नई दिल्ली स्थानांतरित करने का अनुरोध किया. सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से दायर रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंस प्रणाली ठीक से काम कर रही है.
तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सभी आरोपी मुकदमे में देरी करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं. उन्होंने यासीन मलिक के वकील की सेवाएं लेने से इनकार करने और अन्य लोगों के मुकदमे के स्थानांतरण का विरोध करने की ओर इशारा किया.
सुप्रीम कोर्ट ने पहले जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को यासीन मलिक और अन्य के खिलाफ दो मामलों की सुनवाई के दौरान जम्मू विशेष अदालत में उचित वीडियो कॉन्फ्रेंस सुविधाएं सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 18 दिसंबर को छह आरोपियों को मामलों की सुनवाई स्थानांतरित करने की सीबीआई की याचिका पर जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था.
याचिका उन दो मामलों को लेकर है जिसमें 25 जनवरी, 1990 को श्रीनगर में भारतीय वायु सेना के चार कर्मियों की हत्या कर दी गई थी और 8 दिसंबर, 1989 को रुबैया का अपहरण किया गया था. प्रतिबंधित जेकेएलएफ प्रमुख मलिक दोनों मामलों में मुकदमे का सामना कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट जम्मू की एक निचली अदालत के 20 सितंबर, 2022 के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अपहरण मामले में अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह करने के लिए तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे मलिक को व्यक्तिगत रूप से पेश करने का निर्देश दिया गया था.
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