
नई दिल्ली । तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat)से जुड़े तमाम लोग जकात के नाम पर डॉ. शाहीन(Dr. Shaheen) और आतंक से जुड़े लोगों को टेरर फंडिंग(Terror funding) करते थे। जकात के रुपये से वे देश विरोधी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देकर अपने मंसूबों को सफल बनाते थे। इन्हीं रुपये से विस्फोटक सामग्री खरीदते थे। यह जानकारी मिलते ही एजेसियों की कई टीमें इस दिशा में जांच कर रही हैं। जकात की फंडिंग से ही आतंकी देश-विदेश की यात्राएं करते और जरूरत की वस्तुएं जुटाते थे। रकम का एक बड़ा हिस्सा आतंक की नर्सरी तैयार करने में खर्च करते थे। तफ्तीश में खुफिया एजेंसियों को ये चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं। इसके बाद डॉ. शाहीन, मुजम्मिल, डॉ. परवेज और व्हाइट कॉलर टेररिस्ट ग्रुप से जुड़े लोगों का ब्योरा खंगाला जा रहा है।
25-30 ऐसे संदिग्ध मोबाइल नंबर जांच एजेंसियों के हाथ लगे हैं जो दिल्ली विस्फोट के बाद से बंद हैं। टीमें अब उन आईएमईआई पर चल रहे दूसरे नंबरों का डेटा खंगाल रही हैं। जमात के लोग पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर, सहारनपुर, हापुड़, मुरादाबाद, दिल्ली, श्रीनगर, जम्मू के अलावा चोरी-छिपे दुबई, ओमान समेत कई अन्य देशों में जाकर बैठकें करते थे और जकात जुटाते थे।
एजेंसियों को यह भी पता चला है कि फंडिंग में कई मुस्लिम देशों की संस्थाएं भी शामिल हैं। इन संस्थाओं की जानकारी लेकर जांच एजेंसियां इनके बैंक खातों की डिटेल खंगाल रही हैं। करीब 15 बैंकों के खातों की जानकारी एजेंसियों ने भेजी है। बैंक की डिटेल आते ही कई और बड़े राजफाश होने की संभावना है।
क्या है जकात
मुसलमान अपनी कमाई का 2.5 फीसद हिस्सा जकात के रूप में दान करते हैं। जकात देने वाले कुछ लोग गरीबों की आर्थिक मदद करते हैं तो तमाम लोग ऐसी संस्थाओं को धन देते हैं जो कि सामाजिक कार्य करती हैं। इस पैसे का एक छोटा हिस्सा उन मुस्लिम युवाओं के परिवारों को दिया जाता है जो या तो जेल में हैं या जो बेगुनाह साबित होकर समाज से दोबारा जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं। डॉ. शाहीन, डॉ. परवेज और आरिफ से जुड़े तमाम तब्लीगी जमात के लोग जकात का धन टेरर फंडिंग में खर्च करते थे।
केंद्र ने पांच साल के लिए प्रतिबंधित किया था
जकात से अर्जित धन को रिहैब इंडिया फाउंडेशन द्वारा देश विरोधी गतिविधियों में खर्च कराया जाता था। कहने को तो संस्था दीन-ईमान के कार्यों में लगी थी। वर्ष 2022 में केंद्रीय एजेंसियों की जांच में पता चला था कि संस्था पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को फंडिंग कर रही है। इसके बाद केंद्र सरकार ने पीएफआई के साथ ही संस्था को पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। संस्था के जुड़े तमाम पदाधिकारियों पर भी केंद्रीय एजेंसियों ने कार्रवाई की थी।
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