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नृत्य को ग़लत मानने वालों को दिया मुह तोड़ जवाब


देश की कथक क्वीन रही, सितारा देवी की आज जयंती
इन्दौर। भारत में फिल्मों में काम करना…नृत्य सिखाना…गलत माना जाता था, सीतारा देवी के पिता एक कथक कलाकार थे उन्होंने अपनी बेटी को नृत्य सीखने का समर्थन करते हुए कहा कि जब राधा कृष्ण के लिए नृत्य कर सकतीं हैं तो मेरी बेटी क्यो नही? उसके बाद सितारा देवी ने कड़ी मेहनत कर कथक में अपना सिक्का जमा कर रुढि़वादियो को मुंह तोड जवाब दिया ।
डांसर सितारा देवी को यदि कथक क्वीन की संज्ञा दी जाए तो गलत नही होगा, क्योकि वो भारत की ही नही देश-विदेश की भी प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना थीं आज के दिन सितारा देवी का जन्म 8 नवंबर 1920 को कोलकाता में हुआ था। 16 साल की उम्र में ही रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा उन्हें नृत्य सम्रागिनी के खिताब से नवाजा गया था। सितारा देवी को डांस की यह कला विरासत में मिली थी, सितारा देवी की कामयाबी का सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा, जिस समय वो इस कला को सीख रही थी उस दौरान लड़कियों के डांस करने को गलत तरीके से देखा जाता था, इसी वजह से समाज में उनकी काफी आलोचना भी हुई थी, सभी तरह की अलोचनाओं को सुनने के बाद भी उनके पिता सुखदेव महाराज ने अपनी बेटी सितारा देवी को इस कला से वंचित नही किया बल्कि उनका पूरा साथ दिय़ा और समाज में सितारा को गंदे-गंदे नामों से पुकारा जाने लगे, कम उम्र से ही नृत्य की शिक्षा लेने वाली सितारा देवी 10 साल की उम्र में ही सोलो परफॉर्मेंस देने लगी थीं । 25 नवम्बर 2014 को आपका निधन हो गया था।

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