
ये भी गजब है… स्वच्छता सम्मान के साथ पीएम आवास पर मिले अवॉर्ड पर उठे सवाल, खुद महापौर सहित जिम्मेदार स्वीकार चुके हैं घटिया निर्माण की हकीकत
इंदौर। कई अवॉर्ड (Award ) ऐसे मिलते हैं कि जनता भी भौंचक रह जाती है। पिछले दिनों निगम (Corporation) को स्वच्छ वायु में नम्बर वन (number one) रहने का अवॉर्ड मिला, जबकि शहरभर में अभी धूल के गुबार उड़ रहे हैं। इसी तरह कल शासन ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इंदौर निगम को बेस्ट परफॉर्मेंस अवॉर्ड थमा दिया, जबकि इस योजना में अधिकांश बिल्डिंगें घटिया निर्माण का उदाहरण है और सारे रहवासी दु:खी हैं। महापौर सहित निगम के जिम्मेदार इन घटिया निर्माणों की वास्तविकता स्वीकार कर चुके हैं।
कल भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में इंदौर निगम को जहां स्वच्छता के सिरमौर रहने का राज्य स्तरीय सम्मान मिला। आयुक्त दिलीप कुमार यादव और स्वास्थ्य प्रभारी अश्विनी शुक्ल ने यह सम्मान प्राप्त किया और मुख्यमंत्री ने भी इस अवसर पर कहा कि इंदौर ने स्वच्छता में जो पहचान बनाई वह पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणादायक है। वहीं मुख्यमंत्री और राज्यमंत्री श्रीमती प्रतिभा बागरी ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इंदौर नगर निगम को बेस्ट परफॉर्मेंस अवॉर्ड से भी सम्मानित किया। इस योजना के अंतर्गत उत्कृष्ट क्रियान्वयन और हितग्राहियों को समय पर लाभ प्रदान करने का उल्लेखनीय कार्य बताया। दूसरी तरफ हितग्राही यानी इन आवासों में रहने वाले तमाम रहवासी इस अवॉर्ड पर भौंचक हैं, जो आए दिन अपनी समस्याओं को लेकर शिकायतें करते हैं। निगम ने भूरी टेकरी, नैनोद, पंचशील नगर, भीम नगर सहित अन्य क्षेत्रों में जो बिल्डिंगें बनाईं, वह इतनी घटिया है कि भूरी टेकरी में बने फ्लेटों को तो तोडऩे का निर्णय भी कुछ समय पूर्व लिया गया। जेएनएनयूआरएम मिशन के तहत 2009 से ये प्रोजेक्ट चल रहे हैं और अधिकांश बिल्डिंगें जर्जर और घटिया निर्माण का उदाहरण है, जिसमें डेढ़ हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि भी खर्च की गई और अब ये स्थिति है कि आधी कीमत में भी फ्लेट खरीदने को कोई तैयार नहीं है। इसलिए कई लोगों ने बाद में राशि भरना ही बंद कर दी। वहीं लाइट हाउस योजना के बिचौली हप्सी स्थिति फ्लेट तो अत्यंत ही घटिया निकले हैं। यहां तक कि महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भी यह बात स्वीकार की थी कि ये निर्माण अच्छी गुणवत्ता के नहीं हुए।