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देश के विकास को मिलेगी गति, सरकार अलग से बना रही 30 हजार करोड़ खजाना

December 23, 2025

नई दिल्ली: देश के ग्रोथ (Growth) को लेकर काफी सीरियस दिखाई दे रही है. सरकार (Goverment) ने इसके लिए पूरा फोकस इंफ्रा (Infrastructure) पर लगाया हुआ है. यही कारण है कि पिछले बजट में भी सरकार कैपेक्स 11 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा था. अब सरकार एक नई प्लानिंग पर काम कर रही है, ताकि इंफ्रा के काम में कोई रुकावट ना हो. दो सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार भारत के सॉवरेन वेल्थ फंड में 30,000 करोड़ रुपए का इक्विटी निवेश करने की योजना बना रही है. यह निवेश इंफ्रा पर सरकार के निरंतर ध्यान का संकेत है, जिसने आर्थिक विकास को गति दी है. नाम न छापने की शर्त पर जानकारी देने वाले इन सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय निवेश और इंफ्रा फंड (NIIF) में पूंजी डालने के संबंध में व्यय वित्त समिति (EFC) के पास एक नोट भेजा गया है.

सूत्रों ने बताया कि व्यय सचिव वी. वुआलनम की अध्यक्षता वाली ईएफसी द्वारा योजना को मंजूरी मिलने के बाद, कैबिनेट नोट अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा और आगामी केंद्रीय बजट में इसकी घोषणा होने की संभावना है. उपरोक्त सूत्रों में से एक ने कहा, “एनआईआईएफ के लिए जुटाई जा रही बड़ी राशि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा एनआईआईएफ मास्टर फंड II में लगाया जाएगा. जिसका प्रोसेस शुरू हो गया है.


एनआईआईएफ अपने दूसरे मास्टर फंड के लिए लगभग 3.5 बिलियन डॉलर जुटाने की प्रक्रिया में है. बुनियादी ढांचे पर खर्च भारत की आर्थिक वृद्धि का मुख्य आधार बन गया है, जहां पिछले कुछ वर्षों में निजी निवेश की सुस्ती के बावजूद सरकारी निवेश ने जीडीपी को गति दी है. एनआईआईएफ अपना प्राइवेट मार्केट्स फंड II भी लॉन्च कर रहा है, जिसका लक्ष्य 1 बिलियन डॉलर का है, और अमेरिका के साथ एक प्रस्तावित द्विपक्षीय फंड के लिए बातचीत कर रहा है. अभी तक एनआईआईएफ और वित्त मंत्रालय दोनों में से किसी ने भी इस मामले में कोई बयान जारी नहीं किया है.

एनआईआईएफ में भारत सरकार की 49 फीसदी हिस्सेदारी है. यह मुख्य रूप से बुनियादी ढांचे के प्रमुख क्षेत्रों में निवेश पर ध्यान केंद्रित करता है. यह सॉवरेन फंड अपने चार फंडों – मास्टर फंड, प्राइवेट मार्केट्स फंड, स्ट्रेटेजिक ऑपर्च्युनिटीज फंड और इंडिया-जापान फंड – के माध्यम से 4.9 बिलियन डॉलर की इक्विटी कैपिटल को मैनेज करता है, जिसमें बंदरगाह और लॉजिस्टिक्स, रिन्युएबल ऊर्जा, सड़कें, डिजिटल इंफ्रा और मैन्युफैक्चरिंग जैसे सेक्टर्स में निवेश शामिल हैं. एनआईआईएफ की स्थापना 2015 में केंद्र सरकार के 20,000 करोड़ रुपए के प्रारंभिक निवेश के साथ हुई थी.

2020 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एनआईआईएफ डेट प्लेटफॉर्म में इक्विटी निवेश के रूप में 6,000 करोड़ रुपए और स्वीकृत किए, जिसमें असीम इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस लिमिटेड (AIFL) और एनआईआईएफ इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस लिमिटेड (एनआईआईएफ-आईएफएल) शामिल हैं. एनआईआईएफ के निवेशकों में अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (एडीआईए), टेमासेक, ऑस्ट्रेलियनसुपर, ओंटारियो टीचर्स पेंशन प्लान, कनाडा पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड (सीपीपीआईबी), एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी), एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी), न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) और जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन (जेबीआईसी) शामिल हैं.

एनआईआईएफ से भारत के इंफ्रा ग्रोथ टारगेट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है. सरकार की नेशनल इंफ्रा पाइपलाइन (एनआईपी) का लक्ष्य वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2025 तक लगभग 111 लाख करोड़ रुपए रुपये के अनुमानित इंफ्रा निवेश का है. वित्त वर्ष 2026 के लिए भारत का कैपेक्स लक्ष्य 11.21 लाख करोड़ रुपए निर्धारित किया गया है, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 3.1 फीसदी है. पिछले वर्ष के बजट में यह लक्ष्य 11.11 ट्रिलियन डॉलर था, जो जीडीपी का लगभग 3.4 फीसदी था. सरकार के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 के लिए प्रभावी कैपेक्य 15.48 ट्रिलियन डॉलर रहने का अनुमान है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 13.18 ट्रिलियन डॉलर था.

वित्त वर्ष 2020 से कैपेक्स तीन गुना हो गया है, जिससे सभी सेक्टर्स में प्रोडक्टिविटी में इजाफा हुआ है. संजीव अग्रवाल, जो पहले वैश्विक निजी इक्विटी फर्म एक्टिस के एशिया में ऊर्जा निवेश की देखरेख कर रहे थे, ने पिछले साल जनवरी में एनआईआईएफ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक (एमडी) का पदभार संभालने के बाद से एनआईआईएफ ने कुछ शानदार सफलताएं हासिल की हैं. इनमें अयाना रिन्यूएबल पावर प्राइवेट लिमिटेड की ओएनजीसी एनटीपीसी ग्रीन प्राइवेट लिमिटेड (ओएनजीपीएल) को 2.3 अरब डॉलर के उद्यम मूल्य पर बिक्री बिक्री शामिल हैं.

अथांग इंफ्रास्ट्रक्चर की तीन सड़क संपत्तियों को क्यूब हाइवेज ट्रस्ट को 725 मिलियन डॉलर के उद्यम मूल्य पर बेचा गया. अग्रवाल ने राजीव धर से पदभार ग्रहण किया, जिन्होंने मई 2016 में सुजॉय बोस के इस्तीफे के बाद एनआईआईएफ के अंतरिम एमडी और सीईओ के रूप में कार्य किया था. सुजॉय बोस इस फंड के संस्थापक प्रमुख थे. धर इससे पहले एनआईआईएफ के कार्यकारी निदेशक और मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) थे.

 

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