
पहली बार वन मेले में महकेगी लड्डु्ओं की खुशबू, लड्डुओं में आयुर्वेदिक औषधियां भी
इंदौर। प्रदीप मिश्रा
होली (Holi) और रंगपंचमी (Rangpanchami) जैसे त्योहारों के लिए पलाश के पत्तों (Palash leaves) का रंग बनाने की शुरुआत करने वाला इंदौर (Indore) वन विभाग (Forest Department) पहली बार अपने अधीन जंगलों की मशहूर धावड़ा गोंद के लड्डु वन विभाग से सम्बंधित महिला समूहों से तैयार करवा रहा है। इसकी लॉन्चिंग, मतलब बेचने की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय वन मेले में की जाएगी।
लड्डुओं से होने वाली पूरी कमाई महिला समूहों को आवंटित की जाएगी
सर्दी, मतलब ठंड के मौसम के दौरान सैकड़ों सालों से ऐसे लड्डु ज्यादातर सभी सम्पन्न घरों में बनाए जाते रहे हैं, मगर बदलती जीवनशैली और व्यस्तता के चलते अब ज्यादातर लोग बाजार से खरीदते हैं, मगर उनकी शिकायत रहती है कि अच्छी खासी कीमत का भुगतान करने के बाद भी घर में बनाए गए लड्डुओं जैसी गुणवत्ता नहीं मिलती। इसी वजह से अब वन विभाग ने खुद गोंद के लड्डु बनवाकर बेचने का निर्णय लिया है। इससे जो भी मुनाफा मिलेगा, मतलब सारी आमदनी, गोंद संग्रह कर यह लड्डु बनाने वाली लघु उपज वन समिति सम्बंधित चोरल और इंदौर के महिला समूहों में आवंटित की जाएगी।
धावड़ा गोंद के अलावा में कई दुर्लभ आयुर्वेदिक औषधियां भी शामिल
प्राथमिक लघु उपज वन समिति चोरल और इंदौर वन समिति के महिला समूहों द्वारा बनाए जा रहे इंदौर के जंगलों की धावड़ा गोंद के लड्डुओं में शतावर, अश्वगंधा, सफेद मूसली , कमरकस, शिलाजीत जैसी दुर्लभ औषधियों के अलावा कोंच के बीज, शुद्ध देसी घी, गुड़, बादाम, काजू, खोपरे का बूरा, सौंठ जैसे ड्रायफूड भी मिलाए जा रहे हैं।
इस बार 11वां अंतरराष्ट्रीय मेला 17 दिसंबर से 23 दिसंबर तक लाल परेड ग्राउंड भोपाल में आयोजित किया जा रहा है। इसी मेले में पहली बार वन विभाग इंदौर के जंगलों की मशहूर धावड़ा गोंद के लड्डुओं की लॉन्चिंग करने जा रहा है।
प्रदीप मिश्रा, जिला वनमंडलाधिकारी, इंदौर
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