
पटना: बिहार में अगले साल नवंबर से पटना के प्रमुख नालों का गंदा पानी बिना उपचार के गंगा में नहीं जाएगा. राज्य सरकार ने सीवरेज सिस्टम को मजबूत करने की दिशा में तेजी से काम शुरू किया है. राजधानी के बड़े नालों को निर्माणाधीन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) से जोड़ा जा रहा है, ताकि केवल उपचारित पानी ही गंगा में छोड़ा जाए.
दीघा में जेपी गंगा पथ के पास राज्य का सबसे बड़ा 100 एमएलडी क्षमता वाला STP बन रहा है. यहां 25 एमएलडी सीवरेज के उपचार की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और दिसंबर के अंत तक यह क्षमता 55 MLD तक पहुंच जाएगी. मंदिरी और बाकरगंज नालों को इसी एसटीपी से जोड़ा जा रहा है, जिससे गंगा में सीधे प्रदूषित पानी गिरने पर रोक लगेगी.
कंकड़बाग एसटीपी की कुल क्षमता 50 एमएलडी है, जिसमें 20 एमएलडी का उपचार शुरू है. इन दोनों एसटीपी को इसी वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किए गए पांच बड़े प्लांटों में शामिल किया गया था. इसके अलावा मोकामा (8 एमएलडी), फतुहा (7 एमएलडी) और बख्तियारपुर (10 एमएलडी) एसटीपी ट्रायल रन पर हैं. ये अगले साल मार्च तक पूरी तरह ऑपरेशनल होने की उम्मीद है.
फिलहाल, पटना शहर में 196.33 एमएलडी सीवरेज का उपचार हो रहा है. दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक यह क्षमता बढ़कर करीब 226 एमएलडी हो जाएगी. पहले से चल रहे बेऊर, सैदपुर, करमलीचक और पहाड़ी एसटीपी भी इस सिस्टम को सपोर्ट कर रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि सभी एसटीपी पूरी क्षमता से चलने लगे तो गंगा और पुनपुन नदी के प्रदूषण स्तर में उल्लेखनीय सुधार होगा. अनुमान के मुताबिक, अभी भी करीब 150 एमएलडी सीवरेज बिना उपचार के नदियों में जा रहा है, जिसे पूर्ण रूप से रोकना लक्ष्य है.
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