
शराब कांड में भी घुसा राजनीतिक रसूख
इंदौर। जहरीली शराब कांड (Poisonous liquor scandal) में मौतों (deaths) का दौर अभी भी जारी है। जो मरे उनकी चिता की आग ठंडी भी नहीं हुई और आरोपियों को राजनीतिक संरक्षण देने का दौर शुरू हो गया। जिससे खरीदी शराब पीने से सिंधी कॉलोनी के व्यापारी की आंखें बंद हो गई उसे बख्श दिया गया।
दरअसल सिंधी कॉलोनी में शराब पीने के बाद प्रापर्टी कारोबारी (property trader) तरुण की आंखों से दिखना बंद हो गया। तरुण ने बंटी सुंघवानी (Bunty Sunghwani) से शराब खरीदी थी। बंटी को पुलिस (Police) ने गिरफ्तार ( arrested) भी कर लिया। उसकी निशानदेही पर जिम्मी असरानी, उसके भाई और चचेरे भाई मनीष सुखवानी को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया। पहले बंटी पर रासुका का लगाने का प्रतिवेदन पुलिस ने भेजा था, क्योंकि शराब बंटी ने ही दी थी, लेकिन राजनीतिक दखलंदाजी के चलते बंटी पर रासुका नहीं लगी और उसकी निशानदेही पर पकड़े गए जिम्मी पर रासुका लग गई। उधर सिंधी कॉलोनी के प्रापर्टी व्यवसायी को जहरीली शराब देने वाले जिम्मी असरानी और बंटी सुंघवानी, मनीष सुखवानी और बुरहानपुर के अन्य तस्कर को कल जूनी इंदौर पुलिस ने जेल पहुंचा दिया।
छठी मौत…बैंक के कैशियर ने बांबे अस्पताल में तोड़ा दम
जहरीली शराब (Poisonous liquor) से हुई मौतों में आज और एक व्यक्ति का नाम जुड़ गया। निजी बैंक (private bank) के कैशियर मोहनसिंह चौहान निवासी महेश नगर ने सपना बार में शराब पी थी और उसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ी तो इलाज के लिए बांबे अस्पताल (Bombay hospital) में भर्ती कराया गया था। कई दिनों तक मोहन की तबीयत खराब रही थी। रात एक बजे डॉक्टरों ने मोहन को मृत घोषित कर दिया। परिजन का कहना है कि इलाज के नाम पर करीब 10 लाख रुपए लग चुके थे, लेकिन नतीजा सिफर निकला। मोहन के दो बच्चों में एक चार तो दूसरा छह साल का बालक है। परिजन की मांग है कि सपना बार के संचालक पर मानव वध की धाराओं में केस दर्ज किया जाए।
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