
नई दिल्ली. संसद (Parliament) के शीतकालीन सत्र (Winter Session) की शुरुआत में मीडिया से बात करते हुए पीएम (PM) मोदी (Modi) ने कहा, ‘साथियों शीतकालीन सत्र सिर्फ एक एक प्रथा नहीं हैं, ये राष्ट्र को प्रगति की ओर तेज गति से ले जाने के जो प्रयास चल रहे हैं, उसमें ऊर्जा भरने का काम ये शीतकालीन सत्र करेगा, ये मेरा विश्वास है। भारत में लोकतंत्र को जिया है, लोकतंत्र के उमंग और उत्साह को समय समय पर ऐसे प्रकट किया है कि लोकतंत्र के प्रति विश्वास और मजबूत होता रहता है। बीते दिनों बिहार चुनाव में भी मतदान में जो तेजी आई है, वो लोकतंत्र की ताकत है। माता-बहनों की भागीदारी बढ़ना एक नई आशा और विश्वास पैदा कर रहा है। लोकतंत्र की मजबूती और इसके भीतर अर्थतंत्र की मजबूती को दुनिया बहुत बारीकी से देख रही है। भारत ने सिद्ध कर दिया है डेमोक्रेसी कैन डिलीवर।’
‘जिस गति से आज भारत की आर्थिक स्थिति नई ऊंचाईंयों को प्राप्त कर रही है। विकसित भारत की ओर जाने की दिशा में ये नया विश्वास जगाती है। साथियों ये सत्र संसद देश के लिए क्या सोचती है, क्या करना चाहती है और क्या कर रही है, ये दिखाती है। विपक्ष भी पराजय की निराशा से बाहर निकलकर सार्थक चर्चा करे। दुर्भाग्य से कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो पराजय भी नहीं पचा पाते। लेकिन मेरा सभी दलों से आग्रह है कि शीतकालीन सत्र में पराजय की बौखलाहट को मैदान नहीं बनना चाहिए और ये विजय के अहंकार में भी परिवर्तित नहीं होना चाहिए। बहुत ही जिम्मेदारी के साथ देश की जनता की जो हमसे अपेक्षा है, उसे संभालते हुए आगे के बारे में सोचें। जो है उसे कैसे अच्छा कैसे करें और जो बुरा है, उसके बारे में सटीक टिप्पणी कैसे करें, ये मेहनत का काम है, लेकिन देश के लिए करना चाहिए।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के शीतकालीन सत्र से पहले कहा है कि विपक्ष को अपनी रणनीति बदलनी चाहिए. मैं उन्हें टिप्स देने के लिए तैयार हूं कि परफॉर्म कैसे करना चाहिए. पीएम मोदी ने विपक्ष संसद को चलने देने की अपील करते हुए कहा कि कोई भी दल हो, नई पीढ़ी के सांसद जो पहली बार सदन आए हैं उन्हें बोलने का अधिकार मिलना चाहिए. सदन को उनके अनुभवों का लाभ मिलना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने कहा कि ड्रामा करने के लिए बहुत जगह है लेकिन यहां पर ड्रामा नहीं डिलीवरी चाहिए. यहां नारे नहीं नीति पर बदल देना है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रनिर्माण के लिए सकारात्माक सोच होनी चाहिए.
पीएम मोदी ने कहा कि, ‘पिछले कुछ समय से हमारे सदन का उपयोग चुनाव के वार्मिंग अप के लिए किया जा रहा है. या तो इसका इस्तेमाल पराजय की बौखलाहट निकालने के लिए किया जा रहा है. कुछ प्रदेश ऐसे हैं सत्ता में रहने के बाद इतनी एंटी इनकमबेंसी है कि वो जनता के बीच जा नहीं पा रहे हैं और सारा गुस्सा सदन में निकालते हैं. और सदन को राज्य की राजनीति के लिए इस्तेमाल करने की नई परंपरा को कुछ दलों ने जन्म दिया है. इन दलों को चिंतन करना चाहिए कि पिछले 10 साल से वे जो खेल खेल रहे हैं इसे देश स्वीकार नहीं कर रहा है. उन्हें अपनी रणनीति बदलनी चाहिए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, ‘वे विपक्ष टिप्स देने के लिए तैयार हैं कि उन्हें कैसे परफॉर्म करना चाहिए. लेकिन कम से कम सांसदों के हक पर रोक मत लगाइए. उन्हें अभिव्यक्ति के अधिकार से वंचित मत कीजिए.’
संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले पीएम मोदी ने कहा कि ये सत्र सिर्फ रिचुअल नहीं है ये राष्ट्र को प्रगति की ओर तेज गति से ले जाने के जो प्रयास चल रहे हैं उसमें ऊर्जा भरने काम ये सत्र करेगा. ऐसा उनका विश्वास है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष लोगों के बीच नहीं जा पा रहा है और ये लोग सारा गुस्सा सदन में निकालते हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि चुनाव में माताओं-बहनों की भागीदारी बढ़ रही है, इससे नया विश्वास पैदा होता है. पीएम ने कहा कि एक तरफ लोकतंत्र की मजबूती और दूसरी ओर अर्थतंत्र की मजबूती, इसे भी दुनिया बहुत बारीकी से देख रही है. भारत ने सिद्ध कर दिया है कि डेमोक्रेसी कैन डिलीवर. जिस गति से आज भारत की आर्थिक स्थिति नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रही है, ये स्थिति नया विश्वास जगाती है और नई ताकत देती है.
पीएम ने कहा कि ये संत्र संसद देश के लिए क्या सोच रही है, क्या करना चाहती है, क्या करने वाली है इन मुद्दों पर केंद्रित होनी चाहिए.
विपक्ष को सलाह देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इस प्रक्रिया में विपक्ष अपना दायित्व निभायें. चर्चा में मजूबत मुद्दे उठाएं. पराजय की निराशा से बाहर निकले. दुर्भाग्य यह है कि कुछ दल ऐसे हैं जो पराजय नहीं पचा पाते. मुझे लग रहा था कि ये दल बिहार चुनाव के बाद अब बाहर निकल जाएंगे, लेकिन कल इन पार्टियों का बयान सुनकर लगा कि ये हार को पचा नहीं पाए हैं.
उन्होंने कहा, “शीतकालीन सत्र में पराजय की बौखलाहट को मैदान नहीं बनने दें. ये शीतकालीन सत्र विजय के अहंकार में भी परिवर्तित नहीं होना चाहिए. बहुत संतुलित तरीके के साथ देश की जनता का फर्ज निभाएं. आगे के लिए सोचें.”
पीएम मोदी ने कहा उनकी चिंता पहली बार चुनकर आए या कम आयु के सासंदों को लेकर है जो परेशान हैं, इनमें सभी दलों के हैं. उन्हें अपने सामर्थ्य का परिचय करने और क्षेत्र की समस्याओं को बताने का अवसर नहीं मिल रहा है. नई पीढ़ी के नौजवान सांसदों को अवसर देना चाहिए. उनके अनुभवों का सदन को लाभ मिलना चाहिए. इन चीजों को गंभीरता से लें.
उन्होंने आगे कहा, “नारे के लिए पूरा देश पड़ा है, जहां पराजित होकर आए हो वहां बोल चुके हो, जहां अभी पराजय के लिए जाने वाले हो भी मौका है, लेकिन यहां नारे नहीं नीति पर बल देना चाहिए. लेकिन इसके लिए नीयत होनी चाहिए.”
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