
नई दिल्ली । बिहार(Bihar) में मतदाता सूची(Voter List) के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और कथित वोट चोरी(Alleged vote theft) के मुद्दे ने इंडियन नेशनल डेवलेपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया ब्लाक) को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई है। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच रिश्तों पर जमी बर्फ भी पिघली है। ऐसे में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में गठबंधन की संभावना बढ़ गई है।
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) इंडिया गठबंधन का एक मात्र ऐसा घटक दल है, जिनके बीच वर्ष 2024 के चुनाव में कोई समझौता नहीं हुआ था। एक गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। लोकसभा चुनाव के बाद तृणमूल ने इंडिया गठबंधन की कमान संभालने की भी इच्छा जाहिर की।
वर्ष 2026 में भी तृणमूल कांग्रेस एकला चलो की राह पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फरवरी में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए इसका ऐलान भी कर दिया था, पर बिहार एसआईआर से तस्वीर बदल गई। चुनाव आयोग कह चुका है कि बिहार के बाद बंगाल में एसआईआर होगा।
ऐसे में ममता बनर्जी के लिए अकेले दम पर एसआईआर के खिलाफ लड़ाई आसान नहीं है। भाजपा और चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए तृणमूल कांग्रेस को विपक्षी एकजुटता की दरकार होगी। इसलिए, कभी कांग्रेस से इंडिया गठबंधन की कमान लेने का दावा करने वाली टीएमसी को साथ आना पड़ रहा है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि वर्ष 2024 में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस में गठबंधन को लेकर चर्चा हुई थी, पर उस वक्त प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी मुख्यमंत्री के धुर विरोधी थे। इसलिए, चर्चा अंजाम तक नहीं पहुंची। पर इस बार पार्टी की कमान टीएमसी पर नरम रुख वाले शुभांकर सरकार के पास है। तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस में रिश्तों को बेहतर बनाने में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के घर पर कुछ दिन पहले हुए रात्रिभोज ने भी अहम भूमिका निभाई है। पार्टी नेता ने कहा कि रात्रिभोज पर टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी और राहुल गांधी के बीच करीब बीस मिनट तक अकेले में बातचीत हुई थी।
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