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विश्वविद्यालयीन शिक्षा का परिदृश्य नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से बदला

February 02, 2024

  • पत्रकार वार्ता में यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश ने कहा

उज्जैन। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से विश्वविद्यालयों में मिलने वाली शिक्षा का परिदृश्य बदल गया है। अब विद्यार्थियों को दोहरी शिक्षा व्यवस्था और संयुक्त दोहरी डिग्री जैसी सुविधाएँ मिल रही है, वहीं नई शिक्षा नीति पढ़ाई के साथ-साथ विद्यार्थी को रोजगार में भी सहयोग करती है।


पत्रकार वार्ता में मीडिया से चर्चा करते हुए यह बात यूजीसी के अध्यक्ष एम. जगदीश ने कही। उन्होंने बताया 2 फरवरी 2024 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में यूजीसी द्वारा पांच क्षेत्रीय समितियों का गठन किया गया। इनमें से मध्य क्षेत्र की समिति द्वारा सेंट्रल जोन वाइस चांसलर कान्फ्रेंस का आज आयोजन किया गया है। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को अधिसूचित किया गया था। इसके अनुसार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यूजीसी ने कई नई पहल की शुरुआत की। जिम एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट एकेडमिक कार्यक्रमों में बहु प्रवेश और बहिर्वेशन अकाल शाखा वाले एचआई संस्थाओं को बहुसंख्यक शाखाओं वाले संस्थानों में परिवर्तित करना, कट की परीक्षा करना, क्रेडिट फ्रेमवर्क, राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क, एक साथ दो एकेडमी कार्यक्रमों की पढ़ाई करना, दोहरी शिक्षा व्यवस्था, संयुक्त और दोहरी डिग्री कार्यक्रम प्रदान करने के लिए भारतीय और विदेशी उच्चतर शिक्षा संस्थानों के बीच शैक्षणिक सहयोग, व्यावसायिक प्रोफेसर की नियुक्ति जैसे कार्यक्रम पहले शामिल हैं। यूजीसी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विजन को पूरा करने के लिए सतत प्रयास कर रहा है और यह सुनिश्चित करता है कि उपरोक्त सभी कार्यक्रम महत्वाकांक्षी युवाओं के एक बड़े वर्ग तक समयबद्ध तरीके से पहुँचे। इसके लिए एक रोड में विकसित करने में विश्वविद्यालय को यूजीसी सहयोग भी प्रदान कर रहा है। आज जो क्षेत्रीय समिति और कुलपतियों के सेमिनार में जो विचार किया जाना है उसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न प्रावधानों के बारे में क्षेत्र के प्रबंधन शैक्षणिक प्रशासनिक सदस्यों के बारे में जानकारी प्रदान करना, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए कार्य योजना और रणनीतियों को रूपरेखा देने के क्षेत्र में उच्चतर शिक्षा संस्थानों का मार्गदर्शन शामिल हैं। पत्रकार वार्ता में विक्रम विश्वविद्यालय की कुलपति अखिलेश पांडे, कुलसचिव अनिल शर्मा एवं विश्वविद्यालय के कुलानुशासक शैलेंद्र शर्मा मौजूद थे।

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