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सिंगरौली में जंगल कटाई का मामला AICC तक पहुंचा, घिराली कोल ब्लॉक की जांच के लिए बनी हाई-प्रोफाइल कमेटी

December 08, 2025

भोपाल। एमपी के सिंगरौली जिले (Singrauli District) के घिराली कोल ब्लॉक (Ghirali Coal Block) में तेजी से हो रही बड़े पैमाने की पेड़ कटाई (Tree Felling) ने अब राष्ट्रीय स्तर (National Level) पर राजनीतिक ध्यान खींच लिया है। पर्यावरणीय नुकसान और वन क्षेत्र पर मंडरा रहे खतरे को गंभीर मानते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ने इस पूरे मामले की जांच के लिए विशेष तथ्य-अन्वेषण समिति का गठन कर दिया है। यह समिति 11 दिसंबर को सिंगरौली पहुंचकर ग्राउंड जीरो पर हालात का जायजा लेगी। समिति की जिम्मेदारी कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी को सौंपी गई है।

पार्टी का आरोप है कि घिराली कोल ब्लॉक में जंगलों की कटाई असामान्य और बेकाबू रफ्तार से की जा रही है, जिससे न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि स्थानीय आबादी और प्राकृतिक संसाधनों पर भी संकट गहराता जा रहा है। कांग्रेस का दावा है कि कोल ब्लॉक क्षेत्र में भारी मशीनों के जरिए बड़े पैमाने पर पेड़ों को जड़ से उखाड़ा जा रहा है। पार्टी ने आरोप लगाया कि इस पूरी प्रक्रिया में वन संरक्षण कानून और पर्यावरणीय मानकों की गंभीर अनदेखी की गई है।


जांच के लिए गठित समिति में प्रदेश कांग्रेस के कई वरिष्ठ और प्रभावशाली नेता शामिल हैं, जिनमें पीसीसी चीफ जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, पूर्व मंत्री अजय सिंह, कमलेश्वर पटेल, जयवर्धन सिंह, बाला बच्चन, हेमंत कटारे, राजेंद्र कुमार सिंह, मीनाक्षी नटराजन, हिना कावर, विक्रांत भूरिया और ओंकार मरकाम शामिल हैं।

कांग्रेस के अनुसार समिति सिंगरौली पहुंचकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों, ग्रामीणों, आदिवासी समुदायों, विस्थापित परिवारों और संबंधित विभागों के अधिकारियों से बातचीत करेगी। जांच के दौरान यह पड़ताल होगी कि जंगल कटाई की वास्तविक मात्रा कितनी है। पर्यावरणीय और वन स्वीकृतियां नियमों के अनुसार ली गईं या नहीं,स्थानीय समुदायों से सहमति और सलाह क्यों नहीं ली गई। क्या कोल ब्लॉक आवंटन और कटाई प्रक्रिया में कोई अनियमितता या जल्दबाजी हुई। इसके बाद समिति विस्तृत रिपोर्ट बनाकर कांग्रेस नेतृत्व को सौंपेगी।

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यह मामला सिर्फ कोल ब्लॉक का नहीं, बल्कि सिंगरौली की पारिस्थितिकी, जलस्रोतों और आदिवासी आजीविका से जुड़ा है। पार्टी का आरोप है कि हजारों पेड़ एक साथ काटे जाने से पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है।कांग्रेस ने यह भी कहा कि ग्राम सभाओं, सार्वजनिक सुनवाई और पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन जैसी प्रक्रियाओं को या तो नजरअंदाज किया गया या औपचारिकता मात्र निभाई गई। पार्टी का आरोप है कि संवेदनशील वन क्षेत्र में इतनी तेज़ी से मंजूरी और कटाई सरकार की भूमिका पर सवाल खड़े करती है।

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