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दुनिया में मंडराया मंदी का खतरा, 86% CEO की बढ़ी चिंता, रिपोर्ट में आए चौंकाने वाले आंकड़े

नई दिल्ली। वैश्विक मंदी (Global Recession) का खतरा गहराता जा रहा है. एक ओर जहां बड़ी-बड़ी कंपनियों में छंटनी (Layoff) देख इसका अंदाजा लगता है, तो दूसरी ओर आईएमएफ (IMF) ने भी दुनिया को इसके खतरे से आगाह किया है. अब एक ताजा सर्वे के जो नतीजे सामने आए हैं, उन्हें देख मंदी की आशंका और गहरा जाती है. केपीएमजी 2022 सीईओ आउटलुक (KPMG 2022 CEO Outlook) की रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं.

86% की मंदी को लेकर यह राय
बिजनेस टुडे पर छपी केपीएमजी 2022 सीईओ आउटलुक की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्लोबल मंदी की आशंका के बीच नौकरियों पर बड़ा खतरा मंडरा (danger looms) रहा है. इस सर्वे में KPMG ने दुनिया के अलग-अलग देशों की बड़ी-बड़ी कंपनियों के सीईओ (CEOs) की राय को शामिल किया है और इसमे मिले-जुले नतीजे देखने को मिले हैं. सर्वे में शामिल 86 फीसदी सीईओ का मानना है कि आने वाले 12 महीनों में मंदी का सामना करना पड़ सकता है. जबकि 58 फीसदी का मानना है कि आने वाली मंदी बेहद छोटी होगी.

मंदी का खतरा बढ़ने के कारण
रिपोर्ट के मुताबिक, Survey में शामिल करीब हर 10 में से 9 सीईओ का मानना है कि अगले एक साल में मंदी का सामना करना पड़ सकता है. वहीं हर पांच में तीन सीईओ की मानें तो ये मंदी धीमी और छोटी होगी. गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों में दुनिया भर में मंदी की आशंका बढ़ गई है. क्योंकि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक पहले कोरोना महामारी (Corona Pandemic) और फिर रूस-यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध (Russia-Ukraine War) के चलते चरम पर पहुंची महंगाई (Inflation) को काबू में करने के लिए लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी (Interest Rate Hike) कर रहे हैं.



कंपनियों की कमाई पर दिखेगा असर
KPMG Survey में शामिल ज्यादातर (75% ) सीईओ का मानना है कि मंदी के बाद कोरोना महामारी के असर से उबरना मुश्किल हो जाएगा. इसके अलावा 73% सीईओ का अनुमान है कि यह मंदी अगले तीन वर्षों में प्रत्याशित वृद्धि को बनाए रखेगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि 71 फीसदी सीईओ ने आशंका जताई कि अगर मंदी से अगले 12 महीने में कंपनियों की कमाई 10 फीसदी तक प्रभावित हो सकती है. यहां बता दें बीते कुछ महीनों में कई कंपनियों में बड़े पैमाने पर छंटनी (Layoff), नई भर्तियों पर रोक (New Hiring Freez) जैसे मामले देखने को मिले हैं.

टाटा स्टील के सीईओ ने कही बड़ा बात
टाटा स्टील के सीईओ (Tata Steel CEO) टीवी नरेंद्रन (TV Narendran) ने कहा कि कोरोना महामारी (corona pandemic) और यूरोप की हालिया घटनाओं ने हमें यह दिखाने का काम किया है कि हम एक दुनिया के रूप में आपस में किस तरीके से जुड़े हुए हैं. मेरे लिए, भू-राजनीतिक हालात सबसे बड़े जोखिमों में पहले नंबर पर हैं. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हम सभी को अनुकूलित और लचीला सप्लाई चेन बनाने की जरूरत है.

आईएमएफ ने दुनिया को चेताया
बता दें इस सप्ताह की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की चीफ क्रिस्टालिना जॉर्जीवा (Kristalina Georgieva) ने जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में बोलते हुए मंदी के बढ़ते जोखिम को लेकर दुनिया को आगाह किया था. उन्होंने साल 2026 तक ग्लोबल इकोनॉमी की वृद्धि 4,000 अरब डॉलर तक कम होने की आशंका जताई थी.

इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि आर्थिक वृद्धि के अनुमान में पहले से ही तीन बार कटौती हो चुकी है. इसके साल 2022 में घटकर 3.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था, लेकिन अब इसके 2.9 फीसदी रह जाने की संभावना बनती दिखाई दे रही है. इसके अलाना विश्व बैंक ने भी मंदी के खतरे को लेकर अपनी रिपोर्ट में चिंता जाहिर की थी.

छंटनी का दौर लगातार जारी
दुनिया में मंदी के बढ़ते खतरे की चर्चाएं शुरू होने के बाद से ही छंटनी (Layoff) की खबरें भी सुर्खियां बन रही हैं. बीते कुछ समय से कई बड़ी कंपनियों में हजारों लोगों की छंटनी के मामले सामने आए हैं. कुछ का जिक्र करें तो चीन की अलीबाबा (Alibaba) ने 10,000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया.

रिटेल दिग्गज वॉलमार्ट (Wallmart) ने 200 लोगों को नौकरी ने निकाल दिया था. भारत भी इससे अछूता नहीं है. यहां टेक सेक्टर में तीसरी सबसे बड़ी कंपनी एचसीएल टेक्नोलॉजिस (HCL Technologies) ने वैश्विक स्तर पर 350 कर्मचारियों की छंटनी की है. वहीं ताजा रिपोर्ट की मानें को Facebook की पैरेंट कंपनी मेटा भी आने वाले दिनों में 12,000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा सकती है.

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