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हिंदू-ईसाइयों पर अत्याचार के लिए पाकिस्तान को अमेरिका से लताड़, इस रिपोर्ट में खुली शहबाज की पोल

November 26, 2025

न्यूयॉर्क। ये बात तो किसी से छिपी नहीं है कि पाकिस्तान (Pakistan) में अल्पसंख्यकों (Minorities) यानी हिंदू (Hindu), सिख (Sikh) और ईसाई समुदाय (Christian Community) के लोगों के साथ आम नागरिकों (Common Citizens) के अलावा उनकी सरकार (Goverment) भी भेदभाव करती है। पाकिस्तान सरकार के इस कारनामे पर अब अमेरिका के एक सांसद ने भी ध्यान दिया है। उन्होंने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की धार्मिक आजादी के दमन और उनके खिलाफ सरकार की भेदभाव पूर्ण पॉलिसी पर चिंता जताई है।

दरअसल, पाकिस्तान की टॉप मानवाधिकार संस्था ने इस साल की शुरुआत में एक रिपोर्ट रिलीज की थी, जिसमें कहा गया था कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में चिंताजनक बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ ही हिंदू और ईसाई लड़कियों का जबरन धर्मांतरण करवाया जा रहा है। उनकी नाबालिग बच्चियों से बिना परिवार और उसकी मर्जी से शादी की जा रही है। ऐसे मामलों की संख्या तेजी से बढ़ी है। अमेरिकी सीनेट की विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष सीनेटर जिम रिश्च ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में पाकिस्तान को घेरा।


सीनेटर जिम रिश्च ने एक्स पर पोस्ट किया, ”पाकिस्तान की सरकार ईशनिंदा कानून और अन्य भेदभावपूर्ण पॉलिसी को लागू करके अल्पसंख्यक समुदाय की धार्मिक आजादी का दमन जारी रखे हुए है। यहां मॉब वॉयलेंस, हेट स्पीच, मनमानी गिरफ्तारियों और जबरन धर्मांतरण की वजह से असहिष्णुता का माहौल अक्सर अनियंत्रित बना रहता है।”

बता दें कि पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग यानी HRCP ने अगस्त में ‘‘स्ट्रीट्स ऑफ फियर: फ्रीडम ऑफ रिलिजन ऑर बिलीफ इन 2024/25’’ के नाम से रिपोर्ट जारी की थी। जिसमें पाकिस्तान के अंदर अल्पसंख्यक समूहों, खासकर अहमदियों, हिंदुओं और ईसाइयों के खिलाफ दमन के मामले उजागर हुए थे। रिपोर्ट में कहा गया था कि ईशनिंदा के आरोप में अल्पसंख्यकों की मॉब लिंचिंग किए जाने का चलन बढ़ा है।

रिपोर्ट में ये भी माना गया था कि हेट स्पीच में बढ़ोतरी हुई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को धमकियां देने से लेकर निर्वाचित प्रतिनिधियों की सार्वजनिक तौर पर निंदा तक शामिल है। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि इसकी वजह से नागरिकों के अधिकारों में कटौती होती है और कट्टरपंथी तत्वों का हौसला बढ़ता है। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार से आग्रह किया गया था कि वह ईशनिंदा के संबंध में एक जांच आयोग का गठन करे।

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