
नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (American President Donald Trump) की नई टैरिफ नीतियों (New Tariff policies.) के कारण से दुनिया का पावर सेंटर बदलता दिख रहा है। हाल में ही में चीन (China) में एससीओ शिखर सम्मेलन (SCO Summit) के दौरान इसकी एक झांकी देखने को मिली। यहां दुनिया के दो बड़े देश भारत और चीन के बीच सारे विवाद को खत्म कर आगे बढ़ने और अमेरिका को जवाब देने के मुद्दे पर सहमति बनी। इस सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi), चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Chinese President Xi Jinping) और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) की जुगलबंदी की शक्तिशाली तस्वीर सामने आई। इस दौरान कई मुद्दों पर आपसी सहमति बनी, जिनमें व्यापार करने के लिए डॉलर के मुकाबले नया पेमेंट सिस्टम बनाना भी शामिल है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के ग्रैजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस के प्रोफेसर मत्तेओ माज्जियोरी ने भू-अर्थशास्त्र की बदलती भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा है कि बड़ी शक्तियां अब व्यापार और वित्तीय प्रणालियों को राजनीतिक प्रभाव डालने के लिए हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही हैं।
माज्जियोरी ने बताया कि भू-अर्थशास्त्र का मतलब है कि अमेरिका या चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं अपने व्यापार और वित्तीय संबंधों का उपयोग शक्ति प्रदर्शन के लिए करती हैं। उदाहरण के तौर पर चीन का दुर्लभ खनिजों पर नियंत्रण या अमेरिका का वैश्विक वित्तीय प्रणाली का इस्तेमाल करना। निर्यात नियंत्रण, टैरिफ और आर्थिक प्रतिबंध इसके अथियार हैं।
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा क्षेत्र है वित्तीय प्रणाली है। स्विफ्ट (SWIFT) जैसे अंतरराष्ट्रीय भुगतान तंत्र या संपत्तियों की कस्टडी पारंपरिक रूप से अमेरिका और पश्चिम देश द्वारा नियंत्रित किए जाते हैं। इसी आधारभूत ढांचे से अमेरिका दबाव बनाने में सक्षम हुआ है।
एक इंटरव्यू के दौरान माज्जियोरी ने कहा है कि चीन और भारत जैसे देश अब वैकल्पिक भुगतान प्रणालियां बना रहे हैं ताकि अमेरिकी दबाव से बच सकें और अपने प्रभाव क्षेत्र बढ़ा सकें।
भारत की भूमिका पर भी बात
माज्जियोरी के अनुसार भारत तेजी से उभरती शक्ति है और भू-अर्थशास्त्र का अहम हिस्सा बन चुका है। रूस से तेल आयात और डिजिटल पेमेंट सिस्टम (UPI) विकसित करना भारत के दो बड़े कदम हैं। उन्होंने कहा, “भारत का भुगतान तंत्र अब पड़ोसी देशों तक फैल रहा है। यह उन देशों के लिए आकर्षक होगा जिन्हें पश्चिमी तंत्र से बाहर कर दिया जाए।” हालांकि, भारत को वैश्विक शक्ति बनने के लिए सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों में अपनी क्षमता विकसित करनी होगी।
अमेरिका को लग सकता है झटका
माज्जियोरी ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल की टैरिफ युद्ध ने मौजूदा विश्व व्यवस्था को सबसे अधिक बदला है। अमेरिका ने एक-एक देश से सौदे कर रियायतें निकालीं क्योंकि बाकी दुनिया सामूहिक प्रतिक्रिया देने में असफल रही। उन्होंने चेतावनी दी कि डॉलर को लेकर अमेरिकी आत्मसंतोष खतरनाक है। उन्होंने कहा, “यदि कोई वैकल्पिक प्रणाली सिर्फ 10% लेन-देन भी संभालने लगे, तो छोटे देशों के लिए वही पर्याप्त विकल्प होगा और अमेरिका की शक्ति को गंभीर झटका लगेगा।”
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