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Amazon, Flipkart जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों पर लगा ये बड़ा आरोप, जानिए कारण

नई दिल्ली। कोरोना काल में लोगों का शॉपिंग करने का तरीका पूरी तरह से बदल गया है। इस समय लोग ऑनलाइन शॉपिंग को प्राथमिकता दे रहे हैं। अगर आप भी ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं तो ये आपके लिए बड़े काम की खबर है। व्यापारिक संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने अमेजन, फ्लिपकार्ट, जोमैटो, स्विगी समेत कई ई-कॉमर्स कंपनियों पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि ये कंपनियां अपनी हठधर्मी के चलते लीगल मैट्रोलोजी (पैकेज्ड कमोडिटी) क़ानून, 2011 और FSSAI द्वारा जारी किए गए निर्देशों का उल्लंघन कर रही हैं।


इस कानून में साफ कहा गया है कि ई-कॉमर्स पोर्टल पर अब अनिवार्य रूप से विक्रेता और वस्तु से संबधित प्रत्येक जानकारी को स्पष्ट रूप से प्रत्येक उत्पाद के साथ लिखना अनिवार्य है, लेकिन ये कंपनियां खुले आम इन नियमों का उल्लंघन कर रही हैय कैट ने केंद्र सरकार से इनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

ई-कॉमर्स कंपनियां कर रही उल्लंघन : लीगल मैट्रोलोजी कानून, 2011 के नियम 10 में यह प्रावधान है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने पोर्टल पर बिकने वाले प्रत्येक उत्पाद पर निर्माता का नाम, पता, मूल देश का नाम, वस्तु का नाम, शुद्ध मात्रा, किस तिथि से पहले उपयोग (यदि लागू हो), अधिकतम खुदरा मूल्य, वस्तु का साइज आदि लिखना अनिवार्य होता है।


सजा का भी है प्रावधान : यह नियम जून 2017 में लागू किया गया था और इन नियमों का पालन के लिए 6 महीने की अवधि दी गई थी ताकि 1 जनवरी, 2018 से इसका लागू किया जा सके, लेकिन तीन साल के बीत जाने के बाद भी इन नियमों का पालन अमेज़न, फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां नहीं कर रही हैं। लिहाजा यह अपराध गैर मानक पैकेज देने का है, जिसके तहत किसी के भी द्वारा उल्लंघन करने पर जुर्माना या जेल अथवा दोनों सजा एक साथ देने का प्रावधान है।

मामले से जुड़ा यह कानून भी करता है यह व्याख्या : उपभोक्ता संरक्षण नियम, 2020 के नियम 4 (2) के तहत, यह प्रावधान किया गया है कि प्रत्येक ई-कॉमर्स इकाई अपने प्लेटफॉर्म पर स्पष्ट और सुलभ तरीके से प्रत्येक वस्तु के साथ कई महत्त्वपूर्ण जानकारी देगी, जिसमें ई-कॉमर्स एनटिटी का कानूनी नाम, उसके मुख्यालय का पता, पोर्टल का नाम व विवरण, ईमेल, फैक्स, लैंडलाइन और कस्टमर केयर नंबर देना अनिवार्य है।


इस कानून के द्वारा हर पोर्टल को अपने यहां एक शिकायत अधिकारी भी नियुक्त करना आवश्यक है। इसी तरह के प्रावधानों को एफडीआई नीति, 2016 के प्रेस नोट 2 में भी दिया गया है। कैट ने दावा किया है कि किसी भी ई-कॉमर्स इकाई ने उपरोक्त प्रावधानों का अनुपालन करते हुए एक नोडल अधिकारी नियुक्त नहीं किया है। खुले आाम उपभोक्ताओं के महत्वपूर्ण अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है क्योंकि वे ई-कॉमर्स पोर्टल्स से उत्पादों की खरीद के समय उत्पाद के विक्रेता या विवरण के बारे में नहीं जानते हैं। कैट ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को चिट्ठी लिख कर इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

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