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इस दिन है कार्तिक माह का पहला प्रदोष व्रत, भगवान शिव को प्रसन्‍न करने के लिए करें ये उपाय

October 21, 2022

नई दिल्‍ली। कार्तिक माह का पहला प्रदोष व्रत 22 अक्टूबर 2022, शनिवार को रखा जाएगा. कार्तिक (Karthik) के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर रखा जाने वाला प्रदोष व्रत बहुत शुभ संयोग लेकर आ रहा है क्योंकि इसी दिन धनतेरस भी है और शनिवार होने से यह शनि प्रदोष व्रत (Shani pradosh vrat ) कहलाएगा. ऐसे में शिव, शनि और मां लक्ष्मी की कृपा पाने का बेहद शुभ अवसर है.

शिव जी (Shiva) को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत बहुत फलदायी माना गया है. भोलेनाथ शनि देव के गुरु माने गए हैं. मान्यता है कि शिव को प्रसन्न करने से शनि की अशुभता (inauspiciousness) दूर होती है. आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत का मुहूर्त और उपाय.

कार्तिक शनि प्रदोष 2022 मुहूर्त (Kartik Shani pradosh vrat 2022 Muhurat)
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि शुरू – 22 अक्टूबर 2022, शाम 06.02
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि समाप्त – 23 अक्टूबर 2022, शाम 06.03
शिव पूजा का मुहूर्त – शाम 06.07 – रात 08.36 (22 अक्टूबर 2022)


प्रदोष व्रत में भोलेनाथ की पूजा संध्या काल में की जाती है. सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल शुरु होता है. इस दिन पूजा के लिए साधक को ढाई धंटे का समय मिलेगा.

शनि प्रदोष व्रत महत्व (Shani pradosh vrat importance)
सप्ताह के वार के अनुसार प्रदोष व्रता का अलग-अलग महत्व और प्रभाव होते है. शनिवार को आने वाला प्रदोष व्रत संतान प्राप्ति के लिए लाभकारी माना जाता है. शनि प्रदोष व्रत के प्रभाव से मनुष्य को वैवाहिक जीवन में खुशहाली, कर्ज से मुक्ति, नौकरी-व्यापार में तरक्की और शनि दोष, ढैय्या और शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव कम हो जाता है.

शनि प्रदोष व्रत के उपाय (Shani Pradosh Vrat Upay)
शनि की अशुभता को कम करने के लिए इस दिन स्नान कर शिवलिंग पर काला तिल अर्पित करें. कहते हैं इससे आर्थिक स्थिति में सुधार आता है और जीवन के समस्त कलह-क्लेश दूर हो जाते हैं

शनि प्रदोष व्रत में जरुरतमंदों को अन्न, वस्त्र या जूते-चप्पल का दान करना बहुत पुण्यकारी होता है. मान्यता है इससे शनि देव बहुत प्रसन्न होते हैं और भक्त से जाने-अनजाने में हुए पापों का नाश होता है.

शनि प्रदोष व्रत में भोलेनाथ का प्रदोष काल में रुद्राभिषेक कर शिव चालीसा का पाठ और शनि देव का तेलाभिषेक शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. कहते हैं इससे पितृदोष और साढ़ेसाती के अशुभ प्रभाव में कमी आती है.

नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्‍य सूचना के लिए हैं हम इसकी जांच का दावा नहीं करते हैं.

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