
तीन नंबर में चचेरे भाइयों की दौड़
तीन नंबर विधानसभा में कांग्रेस का उम्मीदवार कौन होगा, ये तो समय ही बताएगा, लेकिन अभी से ही दो चचेरे भाई पिंटू और अश्विन जोशी के बीच टिकट की दौड़ शुरू हो गई है। पिंटू तीन नंबर में सक्रिय रहने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। वे तीन नंबर में ही ज्यादा ध्यान दे रहे हैं और अपने पैर जमाने में लगे हैं। दूसरी ओर उनके चचेरे भाई भी राजनीति करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। उनके साथ कुछ पुराने कांग्रेसियों की फौज है और वे मौका आने पर ताकत दिखाना भी नहीं भूल रहे हैं। 1 फरवरी को राजबाड़ा से कांग्रेस का घर चलो, घर-घर चलो अभियान चलाया जाना था। सुबह पिंटू जोशी ने छावनी चौराहे पर सबसे पहले आयोजन कर दिया तो अश्विन ने दोपहर में राजबाड़ा पर कांग्रेसियों का मजमा जमा लिया। एक तरह से यह अभियान कम और शक्ति प्रदर्शन ज्यादा नजर आया। वैसे पिंटू का साथ खाटी कांग्रेसी दे रहे हैं और युवाओं की फौज भी उनके साथ नजर आ रही है, वहीं यह दावा अश्विन बाबा भी कर रहे हैं।
डिप्रेशन में आ गए युवा थे मंडल अध्यक्ष
भाजपा ने जो अभी काम दे रखा है, उसने अच्छे-अच्छे कार्यकर्ताओं का पसीना निकाल दिया है। एक मंडल अध्यक्ष तो डिप्रेशन में आ गए, जब उन्हें काम करने में अड़चनें आने लगीं। बताया जा रहा है कि उन्हें गलत मतदाता सूची दे दी गई। ये मंडल अध्यक्ष उस विधानसभा क्षेत्र से आते हैं जहां वर्तमान विधायक के साथ-साथ एक बड़े नेता का भी दखल है। बेचारे मंडल अध्यक्ष अधर में फंसे हैं और इसी चक्कर में वे परेशान हैं। फिर भी जैसे-तैसे वे अपना काम पूरा करने में लगे हैं, लेकिन चिंता की लकीरें अभी भी उनके माथे से नहीं जा रही है।
महिला कांग्रेस में फिलहाल तो राहत
महिला कांग्रेस में नई पदाधिकारियों की नियुक्ति से मचे बवाल में फिलहाल तो राहत है। बड़े नेताओं ने कह दिया कि कुछ परिवर्तन नहीं होगा, जबकि प्रदेश अध्यक्ष चाह रही हैं कि पुरानी टीम की जगह अपनों को फिट करें, ताकि अपने हिसाब से महिला कांग्रेस चलाई जा सके। शहर से हटाई गई शशि यादव को कमलनाथ ने यह कहकर ऑक्सीजन दे दी कि तुम तो काम करो, अभी कुछ नहीं होगा। ऐसा ही कुछ बाकी पदाधिकारियों से भी कहा गया है, लेकिन उन्हें डर है कि कहीं उनकी कुर्सी खिसक न जाए।
पटवारी को मिली तीसरे नंबर की कुर्सी
गांधी भवन में जिला कांगे्रस की बैठक थी। बैठक में प्रदेश के सहप्रभारी सीपी मित्तल भी मौजूद थे। उनके पास जो कुर्सी लगी थी, उस पर देपालपुर विधायक विशाल पटेल तो दूसरी ओर जिलाध्यक्ष सदाशिव यादव बैठे थे। पूर्व मंत्री जीतू पटवारी देरी से मीटिंग में पहुंचे। उन्हें लगा कि विशाल या सदाशिव दोनों में से कोई उठकर उन्हें सहप्रभारी के पास कुर्सी पर बिठाएगा, लेकिन दोनों नेता नहीं उठे तो पटवारी को तीसरे नंबर की कुर्सी पर बैठकर ही संतोष करना पड़ा। पटवारी का चेहरा देखने लायक था और समझने वाले समझ रहे थे कि पटवारी को यह बात हजम नहीं हो रही है कि उन्हें पूर्व मंत्री रहते हुए भी तीसरे नंबर की कुर्सी पर बैठना पड़ा।
अभियान कमजोर करने में लगे कांग्रेसी
कांग्रेसी कभी एकजुट नहीं हो पाते हैं और संगठन को मजबूत करने की बजाय कबाड़ा कर देते हैं। ऐसा ही कुछ घर चलो, घर-घर चलो अभियान में नजर आ रहा है। कांग्रेस के मोर्चा-प्रकोष्ठ के कुछ पदाधिकारी अपनी हठधर्मिता के चलते अभियान में सहयोग नहीं कर रहे हैं, उन्होंने प्रभारी द्वारा दिए गए नोटिस को ही मुद्दा बना लिया है कि वे हमें कैसे नोटिस दे सकते हैं? वैसे जब भी कांग्रेस के आयोजन होते हैं तो ये अध्यक्ष अपने एक-दो समर्थकों के साथ नजर आ जाते हैं, जबकि इनकी पूरी कार्यकारिणी नदारद रहती है।
आसानी से दे दिया पिंटू ने बंगला
नेता जनप्रतिनिधि या किसी संवैधानिक पोस्ट पर आने के बाद उन्हें दिया बंगला नहीं छोड़ते। पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा ने बंगला तब खाली किया,जब उन्हें लगा कि अब कांग्रेस की सरकार नहीं आने वाली। कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे स्व. महेश जोशी की संस्था को भी एक बंगला उसी लाइन में अलॉट था, पिछले दिनों वह भी खाली हो गया। प्रशासन की ओर से कहा गया कि आपको बंगला खाली करना पड़ेगा। पिंटू ने 1 महीने की मोहलत मांगी और बंगला खाली कर दिया। अधिकारी भी पिंटू की इस सहृदयता के कायल हो गए।
सीएम के खास भाटी ने डाला इंदौर में ही डेरा
मुख्यमंत्री के नजदीकियों में गिने जाने वाले और उनकी ही विधानसभा के रहने वाले रघुनाथसिंह भाटी को प्रदेश संगठन ने ग्रामीण भाजपा का प्रभारी बनाया है। जब से बूथ विस्तारक अभियान शुरू हुआ तब से भाटी ने इंदौर में ही डेरा डाल रखा है, जबकि शहर के प्रभारी उज्जैन निवासी तेजबहादुरसिंह आते-जाते रहते हैं। भाटी भाजपा कार्यालय पर ही रह रहे हैं और किसी भी मंडल में निकल पड़ते हैं। पिछले दिनों उन्होंने भाजपा कार्यालय पर ही अपना जन्मदिन भी मनाया, जिसमें शामिल होने उनके समर्थक इंदौर आए। भाटी ने अच्छा-खासा मजमा भी इक_ा कर लिया। इनमें भाटी से जुड़े इंदौर के भी कुछ नेता नजर आए।
कांगे्रसी और भाजपाई पता कर रहे हैं कि नगर निगम चुनाव कब होंगे? वैसे वरिष्ठ नेताओं ने चुनाव कराने की बात कहकर वार्डों में राजनीतिक सरगर्मी तो पैदा कर दी है। बड़े नेता यही कहते सुने जा रहे हैं कि गर्मी में चुनाव हो जाएंगे। अब ये कार्यकर्ताओं से काम कराने का शिगूफा है या हकीकत? वैसे इसके बाद कई दावेदार काम पर लग गए हैं और नेताओं की परिक्रमा भी शुरू कर दी है। -संजीव मालवीय
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