लक्ष्मण सिंह ने फिर कांग्रेस को संकट में डाला
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) के बोल-वचन तो कांग्रेस (Congress) के लिए समस्याएं पैदा करते ही रहते हैं, लेकिन बड़े भैया तो बड़े भैया छोटे भैया सुभान अल्लाह हैं…. छोटे भैया लक्ष्मण सिंह (Laxman Singh) भी जब मुंह खोलते हैं तो ऐसा बोलते हैं कि कांग्रेस के पास उनके बोल-वचन का कोई जवाब नहीं होता है। पहलगाम की घटना के बाद लक्ष्मण सिंह ने मुंह खोला और कांग्रेस को ढेर सारी सलाह दे डाली। उन्होंने जम्मू-कश्मीर की सरकार से समर्थन वापस लेने की सलाह दी। साथ में राहुल गांधी और रॉबर्ट वाड्रा को सोच-समझकर बोलने की भी सलाह दी। लक्ष्मण सिंह यह कहने से भी नहीं चूके कि इनका बचपना हम कब तक सहन करेंगे। अब लक्ष्मण सिंह के बयान के बाद कांग्रेस में फिर से कानाफूसी शुरू हो गई है। अनुशासित संगठन की बात करने वाले प्रदेश कांग्रेस के नेताओं से पूछा जा रहा है कि लक्ष्मण सिंह ने जो कहा क्या वह अनुशासन है? यदि नहीं है तो क्या कार्रवाई कर रहे हो? किसी के पास इन सवालों का जवाब नहीं है… अब जवाब एक ही है कि जो होगा वह दिल्ली से होगा….
मध्यप्रदेश में कांग्रेस को नेता की तलाश
मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी ने पिछले दिनों भोपाल में पूरे प्रदेश के शहर व जिला अध्यक्ष के साथ में प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि और अन्य नेताओं की बैठक ली… इस बैठक में उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस को ऐसे नेता की जरूरत है, जो प्रदेश में कांग्रेस का नेतृत्व कर सके और सभी लोगों को अपने साथ में लेकर चल सके। चौधरी के इस बयान में प्रदेश में कांग्रेस की गुटबाजी का दर्द और नेताओं द्वारा एक-दूसरे को निपटाने के लिए किए जा रहे कामों के प्रति गुस्सा नजर आया। अपने बयान के माध्यम से चौधरी ने यह तो बता दिया कि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी प्रदेश में कांग्रेस के सभी नेताओं को अपने साथ लेकर चलने की स्थिति में नहीं हैं… इस स्थिति में भी पटवारी ने अपने लिए सकारात्मक देख लिया और कहने लगे कि अच्छा है कम से कम प्रदेश प्रभारी के रूप में ऐसा नेता तो आया, जो मेरे कान मरोड़ सकता है….
गोलू के करतब से चारों खाने चित हो गए भाजपा के विधायक
भाजपा के विधायक गोलू शुक्ला ने ऐसा करतब दिखाया कि इस समय बाकी सारे विधायक चारों खाने चित हो गए हैं। इंदौर नगर निगम द्वारा मास्टर प्लान की 23 सडक़ों के निर्माण का कार्य शुरू किया गया है… इनमें विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 3 के अंतर्गत आने वाली सुभाष मार्ग और छावनी की सडक़ शामिल हैं। हर सडक़ की तरह इन सडक़ के नागरिकों ने भी सडक़ की चौड़ाई का विरोध किया और उसे घटाने की मांग की… नगर निगम का यह सिद्धांत है कि वह सडक़ की चौड़ाई को नहीं घटाता है। ऐसे में महापौर के साथ जुगलबंदी करते हुए गोलू ने प्रथम चरण, द्वितीय चरण के जैसा चरण अपनी इन दो सडक़ों में डलवा दिया…अब इस चरण का यह प्रताप हुआ कि खुश हो गए गोलू और बाकी के विधायक आ गए नई परेशानी में…अब तक तो लाख कोशिश करके भी कोई विधायक अपने क्षेत्र की किसी सडक़ की चौड़ाई को चरण में तब्दील नहीं करवा पाया था…
सिंगार के पास जमा हो गए सभी पटवारी विरोधी
पुरानी कहावत है दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है…इस कहावत को चरितार्थ करते हुए मध्यप्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता उमंग सिंगार जब इंदौर में पार्टी की ओर से निर्धारित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पहुंचे तो उनके पास इंदौर के सारे पटवारी विरोधी नेता जमा हो गए। कांग्रेस में निकट भविष्य में होने वाले फेरबदल में जिन लोगों के पद जाने की आशंका है, वह भी सिंगार के पास पहुंच गए। जिन नेताओं का पटवारी के साथ विवाद चल रहा है वे भी इस ठिकाने पर पहुंच गए। कुल मिलाकर पटवारी विरोधियों की महफिल सज गई…। सिंगार को भी पटवारी के गृहक्षेत्र में अपने साथ एक समूह चाहिए था, अब वह समूह भी बन गया है…
सैल्यूट के लिए भिड़ गए
पिछले तीन दिनों से पुलिस विभाग द्वारा जारी किए गए एक सर्कुलर से कांग्रेस की राजनीति गरमा गई है। इस सर्कुलर के माध्यम से सभी पुलिस अधिकारियों को कहा गया है कि वह जनप्रतिनिधि को सैल्यूट लगाया करें। पहले भी पुलिस अधिकारियों द्वारा सांसद-विधायक को सैल्यूट लगाया जाता था। अब एक बार फिर इस आदेश को नए सिरे से जारी किया गया है। इस आदेश से किसी को कहीं कोई तकलीफ नहीं है। तकलीफ है तो अकेले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को… उन्होंने इस फैसले का विरोध करने के साथ चि_ी भी लिख दी और दलील दी कि बहुत सारे जनप्रतिनिधियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं, इसलिए उन्हें सलामी नहीं दी जाना चाहिए। अब कांग्रेस के नेता पूछ रहे हैं कि बहुत से मंत्रियों पर भी प्रकरण दर्ज रहते हैं तो क्या पटवारी कहेंगे कि मंत्रियों को भी सैल्यूट नहीं मिलना चाहिए…
सुमित मिश्रा को मिली शुरुआत में सफलता
भाजपा में मंडल इकाइयों के गठन का काम शुरू हो गया। सबसे पहले पांच मंडल इकाइयों के नाम की घोषणा की गई। शहर भाजपा अध्यक्ष सुमित मिश्रा ने मंडल अध्यक्ष के माध्यम से विधायक और पार्षद के साथ समन्वय बनवाया और नाम की सूची इस तरह बनवाई कि कहीं कोई शिकायत करता हुआ नजर नहीं आना चाहिए। मिश्रा की कोशिश सफलता के मुकाम तक पहुंची और इस कोशिश का यह परिणाम रहा कि जब पांच मंडल के नाम की घोषणा हुई तो शिकायत करने या विरोध जताने के लिए एक व्यक्ति भी सामने नहीं आया। अब उम्मीद की जा रही है कि इसी तरह की होशियारी से बचे हुए 30 मंडल की इकाइयों के नाम भी घोषित हो जाएंगे…
– जितेंद्र जाखेटिया
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