ज़रा हटके देश

रिक्शा चलाने वाला ये शख्स बन गया देश का सबसे बड़ा ‘कार चोर’, 5000 चोरी…7 बच्चे और बेहिसाब दौलत

नई दिल्ली। भारत (India) का सबसे बड़ा कार चोर अनिल चौहान आखिरकार एक बार फिर से कानून की गिरफ्त में आ गया. पुलिस की मानें तो शातिर अनिल चौहान(Vicious Anil Chauhan) ने पिछले लगभग तीन दशक में करीब 5000 से ज्यादा कार चोरी की वारदातों को अंजाम दिया है. सच कहें तो उसने अपनी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा कार चोरी के काम में ही लगाया है. आखिर कौन है अनिल चौहान? कैसे वो बन गया देश का सबसे बड़ा कार चोर? आइए जानते हैं उसकी कहानी…

कौन है अनिल चौहान?
बात 90 के दशक की है. उस वक्त अनिल चौहान दिल्ली के खानपुर इलाके में रहा करता था. 12वीं कक्षा में उसने पढ़ाई छोड़ दी थी. इसके बाद जीवन यापन करने के लिए वह ऑटो रिक्शा(auto rickshaw) चलाने लगा. फिर कुछ सरकारी दफ्तरों में उसने कॉन्ट्रेक्ट पर ड्राइविंग (driving on contract) भी की. लेकिन अमीर बनने के लिए उसने जुर्म का रास्ता चुन लिया. वह जरायम की दुनिया में कूद पड़ा.



कुछ दिन छोटी-मोटी चोरी-चकारी करने के बाद वो कारें चुराने लगा. उन दिनों मारुति 800 की बहुत डिमांड थी. लिहाजा वो कार के धंधे में बहुत आगे निकल गया. फिर उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. बताया जाता है कि उसने 1990 के दशक में सबसे ज्यादा मारुति 800 कारें चोरी की थीं. चौहान को दिल्ली पुलिस ने सबसे पहले 1991 में गिरफ्तार किया था, लेकिन जल्द ही उसे जमानत मिल गई थी.

अनिल पर 25,000 का इनाम
उस वक्त पुलिस कार चोरी की वारदातों से परेशान हो चुकी थी. लेकिन चोर का कोई सुराग हाथ नहीं लग रहा था. लिहाजा, उस दौर में पुलिस ने अनिल चौहान पर 25 हजार रुपये का इनाम रखा था. ये उस वक्त खासा रकम हुआ करती थी. साल 2010 आते-आते अनिल चौहान के खिलाफ पूरे देश में करीब 3000 कार चोरी के मामले दर्ज हो चुके थे. दिल्ली की कई अदालतों ने उसे अपराधी घोषित कर दिया था. यही वो वक्त था, जब अनिल ने अपना ठिकाना पूर्वोत्तर राज्यों की तरफ बना लिया था.

ईडी (ED) ने जब्त कर ली थी संपत्ति
उन दिनों अनिल चौहान दिल्ली और आस-पास के राज्यों में कार चोरी करता था. इसके बाद वो चुराई गईं कारों को जम्मू कश्मीर, नेपाल और उत्तर पूर्व के राज्यों में बेचा करता था. इसी दौरान वह गैंडे के सींगों की तस्करी भी करने लगा था. उसका नेटवर्क लद्दाख से नार्थ ईस्ट तक फैल चुका था. यही नहीं, जब दिल्ली में उस पर पुलिस का दबाव बढ़ने लगा तो वह नार्थ ईस्ट के राज्यों में कार चोरी की वारदातों को अंजाम देने लगा था.

इसी दौरान वह असम में जाकर ए क्लास कॉन्ट्रैक्टर बन गया. वहां वो कई तरह के सरकारी ठेके लेने लगा था. जिसकी वजह से वह प्रवर्तन निदेशालय (ED) के रडार पर आ गया. ईडी ने उसके खिलाफ मामला दर्ज किया और उसकी सारी संपत्ति जब्त कर ली गई. जिसकी वजह से अनिल की कमर टूट गई थी.

2004 में दो राज्यों की पुलिस ने पकड़ा
1990 के बाद अनिल चौहान को कई राज्यों में पुलिस चार-पांच बार गिरफ्तार कर चुकी थी. लेकिन हर बार वो जमानत पर छूट जाता था. साल 2004 में असम और शिलांग पुलिस की संयुक्त छापेमारी में वह असम के सिलचर में पकड़ा गया था. तब उसे मेघालय पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ की थी. पुलिस ने उसकी दूसरी पत्नी गीता को भी अपराध में उसका साथ देने के आरोप में गिरफ्तार किया था. दिल्ली पुलिस की वेबसाइट के अनुसार, अनिल चौहान का ऑटो लिफ्टिंग गिरोह अकेले दिल्ली में कार चोरी के 400 से अधिक मामलों में शामिल था.

अधिकारी बनकर किराए पर लेते थे वाहन
साल 2005 में अनिल चौहान का गैंग पूर्वोत्तर में सक्रीय था. उसके गिरोह के सदस्य खुद को अधिकारी बताकर वाहन किराए पर लिया करते थे और उन्हें शिलांग और आइज़वाल जैसे पहाड़ी इलाकों में ले जाते थे. फिर मौका देखकर किसी सुनसान जगह पर कार चालक को मारकर कार ले उड़ते थे. जब साल 2005 में पुलिस ने पत्नी के साथ अनिल चौहान को गिरफ्तार किया था, तब दिल्ली पुलिस ने कार चोरी के लगभग 80 मामलों को सुलझाया था और उसके पास से 34 कारें बरामद की थीं.

साल 2015 में फिर गिरफ्तारी
पुलिस ने अप्रैल 2015 की शुरुआत में अनिल चौहान को गुवाहाटी में गिरफ्तार किया था. तब तक अनिल चौहान कार चोरी की दुनिया में एक बड़ा नाम बन चुका था. वह ऑटो-चोरी रैकेट का किंगपिन कहलाने लगा था. वो हमेशा लक्जरी कारों में सफर करता था. ब्रांडेड कपड़े पहनता था. रोलेक्स घड़ियां पहनना भी उसे पसंद था. वह धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलता था और किसी भी कार को उठाने से पहले वह अपनी पत्नी के साथ वहां आता था, ताकि पुलिस को शक ना हो.

ईडी ने गुवाहटी में दर्ज किया था केस
उसी साल यानी 2015 में ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कार चोरी रैकेट के सबसे बड़े सरगना अनिल चौहान के खिलाफ मनी-लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था. यह केस ईडी के गुवाहाटी जोनल ऑफिस में दर्ज किया गया था. उस चौहान अपनी पत्नी समेत पुलिस हिरासत में था. ईडी ने उसके खिलाफ गलत तरीके से कमाए गए धन और संपत्तियों को कुर्क करने की कार्यवाही भी की थी.

करोड़ों के लेन-देन का खुलासा
दरअसल, अनिल चौहान के मामले में ईडी की एंट्री पुलिस के कहने पर हुई थी. पुलिस ने मामले के मनी-लॉन्ड्रिंग से जुड़े पहलू की जांच के लिए ईडी को खत लिखा था. क्योंकि पुलिस को अपनी छानबीन के दौरान पता चला था कि अनिल चौहान ने देश के विभिन्न हिस्सों में संपत्ति अर्जित करने के अलावा अपने बैंक खातों और अपनी पत्नी गीता के माध्यम से करोड़ों रुपये का लेन-देन किया था. जांच में पता चला था कि चौहान ने 17 बैंक खातों के माध्यम से लगभग 6.6 करोड़ रुपये का लेनदेन किया था, जिसे पुलिस ने फ्रीज कर दिया था.

दिल्ली की अदालतों ने घोषित किया था भगोड़ा
साल 2015 में जब ये सब कार्रवाई चल रही थी, तो उन दिनों चौहान की पत्नी कांग्रेस की गुवाहाटी इकाई की सदस्य थी. उनके पास वहां द्वारका नगर में एक घर था और नागांव जिले के धरमतुल में लगभग 4.5 कट्टे का एक भूखंड भी था. उसके पास दिल्ली और मुंबई समेत कई जगहों पर बेनामी संपत्ति भी थी. उस वक्त अनिल को दिल्ली की अदालतों ने 76 मामलों में भगोड़ा घोषित किया था. जहां उसके खिलाफ विभिन्न पुलिस स्टेशनों में 200 से अधिक मामले दर्ज थे.

चौहान के खिलाफ दर्ज हैं हत्या जैसे संगीन मामले
तब असम में भी चौहान के खिलाफ करीब 26 मामले दर्ज थे. असम कांग्रेस विधायक रूमी नाथ चौहान उस वक्त विवादों में फंस गए थे, जब उन्होंने अनिल के लिए विधानसभा परिसर के लिए कार पास की व्यवस्था की थी. कार-लिफ्टर के साथ उनके कथित संबंधों के लिए उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था. बाद में उन्हें गुवाहाटी उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई थी. अनिल चौहान के खिलाफ कार चोरी के अलावा हत्या, आर्म्स एक्ट और तस्करी के कई मामले भी दर्ज हैं.

बता दें कि दिल्ली पुलिस ने हाल ही में उसे गिरफ्तार किया है. गिरफ्तारी के वक्त पुलिस ने अनिल चौहान के कब्जे से 6 अवैध पिस्टल, 7 कारतूस, एक चोरी की बाइक और एक कार बरामद की है. फिलहाल, पुलिस उससे पूछताछ कर रही है.

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