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President Election: राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार की खोज कहां तक पूरी हुई, भाजपा किस पर खेलेगी दांव?


नई दिल्ली। राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को चुनाव होना है। इसके लिए सियासी गलियारों में हलचल बढ़ चुकी है। भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस की अगुआई वाले यूपीए में उम्मीदवार को लेकर मंथन जारी है। विपक्ष के दो संभावित उम्मीदवारों ने राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के तौर पर अपना नाम अलग कर लिया है। वहीं, एनडीए में कई दिग्गजों के नामों पर बातचीत अब भी जारी है।

चुनाव को लेकर भाजपा ने अब तक क्या-क्या किया?
एनडीए ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को जिम्मेदारी सौंपी है कि वह विपक्ष और एनडीए में शामिल पार्टियों से समर्थन हासिल करें। इसके लिए राजनाथ सिंह ने ममता बनर्जी, शरद पवार, मल्लिकार्जुन खड़गे, अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक समेत विपक्ष और एनडीए की सहयोगी पार्टी के कई बड़े नेताओं से संपर्क किया। इसके अलावा भाजपा ने मैनेजमेंट टीम भी बनाई है। इसके समन्वयक गजेंद्र सिंह शेखावत हैं। सह संयोजक विनोद तावड़े और सीटी रवि बनाए गए हैं। वहीं, 11 सदस्य भी नियुक्त किए गए हैं।

विपक्ष ने अब तक क्या-क्या किया?
विपक्ष को एकजुट करने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी काफी कोशिशें कर रहीं हैं। 15 जून को ही उन्होंने 22 विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी, जिसमें 17 दलों के नेता शामिल हुए। हालांकि, आम आदमी पार्टी, टीआरएस, बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस ने खुद को इस बैठक से अलग रखा।


एनडीए में किन नामों की हो रही चर्चा?
यह जानने के लिए हमने देश की राजनीति पर अच्छी पकड़ रखने वाले प्रो. अजय कुमार सिंह से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘2014 के बाद से भाजपा वही कर रही है, जो किसी ने सोचा नहीं होगा। जैसे 2017 में रामनाथ कोविंद को अचानक राष्ट्रपति और वैंकैया नायडू को उपराष्ट्रपति चुना गया। उस वक्त तक इन दोनों नाम पर कोई चर्चा नहीं थी। इस बार भी कुछ ऐसा ही हो सकता है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश के दलित और उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू आंध्र प्रदेश के कम्मा परिवार से आते हैं। जिस वक्त रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति बनाए गए, उस वक्त वह बिहार के राज्यपाल थे। ऐसे में भाजपा तीन वर्ग से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार उतार सकती है।

1. महादलित, आदिवासी या फिर दलित: भाजपा महादलित या किसी आदिवासी को देश के राष्ट्रपति या फिर उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के रूप में उतार सकती है। खासतौर पर दक्षिण के महादलित या आदिवासी चेहरे को यह मौका मिल सकता है। इसमें छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके, झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्म का नाम चर्चा में है।

उइके और द्रौपदी की चर्चा इसलिए भी है, क्योंकि 2023 में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान समेत नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। उइके मध्यप्रदेश से आती हैं, जबकि इस समय छत्तीसगढ़ में राज्यपाल हैं। वहीं, द्रौपदी झारखंड की रहने वाली हैं। इन राज्यों में आदिवासी समाज के काफी लोग रहते हैं। आज तक आदिवासी समाज से कोई राष्ट्रपति नहीं बना। चर्चा यह भी है कि भाजपा एक बार फिर किसी दलित चेहरे पर दांव लगा सकती है। ऐसे में कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत के नाम की सबसे ज्यादा चर्चा है।

2. सिख: इस वक्त भाजपा का सिखों पर काफी फोकस है। किसान आंदोलन के बाद सिख समुदाय में भाजपा के प्रति नाराजगी बढ़ गई थी। अगले साल हरियाणा और फिर 2024 में लोकसभा चुनाव भी है। हरियाणा में हिंदू और मुस्लिम मतदाताओं के बाद सबसे ज्यादा संख्या सिख वोटर्स की है। ऐसे में संभव है कि सिख चेहरे को राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। ऐसे में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट गुरमीत सिंह का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है।


3. मुस्लिम: किसी मुस्लिम चेहरे को भी राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। इनमें केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी शामिल हैं। कयास हैं कि भाजपा को दुनियाभर में एंटी मुस्लिम के तौर पर जाना जाता है। ऐसे में किसी मुस्लिम चेहरे को राष्ट्रपति बनाकर भाजपा यह दाग साफ करना चाहेगी। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान भी ऐसा ही हुआ था। तब भाजपा की तरफ से डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को उम्मीदवार बनाया गया था।

4. इन नामों की भी चर्चा: इनके अलावा कई नामों पर मंथन चल रहा है। इनमें आंध्र प्रदेश के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन, बिहार के राज्यपाल फागू चौहान, हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन को लेकर भी चर्चा हो रही है।

एक दक्षिण से तो दूसरा उत्तर से हो सकता है
भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उम्मीदवार चाहे जो हो, लेकिन यह तय है कि दोनों पदों में से एक पर उत्तर तो दूसरे पर दक्षिण भारत का चेहरा उतारा जाएगा। ऐसा करके उत्तर से लेकर दक्षिण तक के सियासी गणित को साधा जा सकता है।

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