
नई दिल्ली । बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) में कांग्रेस (Congress) की करारी हार के बाद मंथन का दौर जारी है। कांग्रेस के शीर्ष नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge), राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और के.सी. वेणुगोपाल (K.C. Venugopal) ने लगभग 70 उम्मीदवारों और सांसदों के साथ कई दौर की समीक्षा बैठकें कीं। इन बैठकों में हार के लिए विभिन्न कारणों पर खुलकर चर्चा हुई। बैठकों में उपस्थित अधिकांश नेताओं और उम्मीदवारों ने हार के लिए अलग-अलग कारणों का जिक्र किया। आपको बता दें कि चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2025 बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 6 सीटें जीतीं और 6.09% वोट शेयर प्राप्त किया है।
स्थानीय मुद्दों की अनदेखी: कई वरिष्ठ पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि पार्टी ने SIR (Special Intensive Revision) या ‘वोट चोरी’ जैसे मुद्दों पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित किया, जबकि महंगाई, पलायन और भ्रष्टाचार जैसे महत्वपूर्ण स्थानीय मुद्दों की अनदेखी की गई।
EVM का दुरुपयोग: केसी वेणुगोपाल ने बैठक के बाद बयान दिया कि बिहार चुनाव का जनादेश वास्तविक नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर प्रबंधित और मनगढ़ंत परिणाम था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि SIR और ईवीएम का दुरुपयोग किया गया।
गठबंधन का ध्रुवीकरण: पार्टी के एक वर्ग ने RJD के साथ गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि सहयोगी कुछ वोट तो लाता है लेकिन अन्य समुदायों का ध्रुवीकरण भी करता है। कुछ ने RJD से गठबंधन तोड़ने की भी मांग की है। राहुल गांधी ने इस मांग को खारिज करते हुए पलटवार किया कि जिन सीटों पर कांग्रेस और RJD के बीच दोस्ताना मुकाबले हुए, वहां पार्टी क्यों विफल रही।
AIMIM की भूमिका: सीमांचल क्षेत्र और उससे बाहर AIMIM को अल्पसंख्यक वोटों के विभाजन के लिए दोषी ठहराया गया। स्थानीय पदाधिकारियों ने हार के कारणों में सहयोगी दलों के बीच समन्वय की कमी को भी कारण बताया।
महिला लाभार्थियों को भुगतान: स्थानीय नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार ने चुनाव के दौरान 10,000 की राशि सीधे महिलाओं को हस्तांतरित की। इसने महिला मतदाताओं को निर्णायक रूप से प्रभावित किया।
बूथ हेरफेर: बूथों पर हेरफेर के आरोप लगाए गए, जिसमें बूथों के पास जीविका दीदियों की उपस्थिति और उनका मतदाताओं को एक विशेष गठबंधन के लिए प्रभावित करना शामिल था। यह आरोप लगाया गया कि भाजपा ने चुनाव को अपने पक्ष में करने के लिए SIR, ईवीएम, वोट खरीदी और प्रशासन का उपयोग जैसे उपकरणों का इस्तेमाल किया।
जवाबदेही की मांग: एक नेता ने राहुल गांधी को 2019 के लोकसभा चुनाव की हार की जिम्मेदारी लेने और अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की याद दिलाते हुए राज्य में भी जवाबदेही तय करने की मांग की, जिसे AICC प्रभारी कृष्णा अल्लवरु पर परोक्ष कटाक्ष माना गया। यह मुद्दा अन्य सदस्यों द्वारा भी उठाया गया।
जाति जनगणना: पार्टी के सदस्यों के एक वर्ग ने जाति जनगणना को दिए गए महत्व पर सवाल उठाया। उन्होंने तर्क दिया कि उच्च जातियों के उम्मीदवारों की जीत का अनुपात उनकी जनसंख्या हिस्सेदारी से काफी अधिक है, जबकि कुछ बड़ी OBC समुदायों के उम्मीदवारों की जीत का अनुपात उनकी संख्या के बिल्कुल अनुरूप है। यह टिप्पणी आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी के नारे के संदर्भ में की गई थी।
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