
भोपाल। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि मौलिकता, जनजातीय समाज को मिली अनुपम देन है। सभी जनजातियों में विशिष्ट मौलिकता और प्रतिभा है। उनकी मौलिकता और प्रतिभा को पहचान कर, उनको निखारने, संवारने के प्रयास करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जनजातीय विकास कार्यों को समावेशी स्वरूप में संचालित किया जाए, जिसमें सब जनजातियों का विकास हो। राज्यपाल राजभवन में जनजातीय कार्य विभाग और ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट के अधिकारियों के साथ प्रदेश की जनजातियों की परम्परागत शिल्प कलाओं को बढ़ावा देने के प्रयासों पर राजभवन में चर्चा कर रहे थे। पटेल ने कहा कि प्रदेश की जनजातियों की सतत् आजीविका के प्रयास नियोजित और समावेशी स्वरूप में किए जाएँ। यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी जनजाति बहुल 89 विकासखंडो में आजीविका विकास के कार्य संचालित हो।
उन्होंने जनजातीय शिल्पकला को संरक्षित करने के साथ ही उनके विस्तार के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों, उन्मुखीकरण कार्यशालाओं का आयोजन, जनजातीय कलाकृतियों, हस्तशिल्प उत्पादों की मांग के केंद्रों और बाजारों को चिन्हित कर उत्पादों की उपलब्धता को सुनिश्चित करने, प्रदर्शन और विक्रय के नए अवसरों को तलाशने के लिए कहा है। पटेल ने जनजातीय शिल्प और कला के नवोदित शिल्पकारों, कलाकारों को प्रोत्साहित करने के प्रयासों पर बल दिया। साथ ही नवोदित कलाकारों की कृतियों और उत्पादों को शासकीय आवश्यकताओं के क्रय में प्रोत्साहित करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि लघु एवं कुटीर उद्योगों द्वारा आयोजित किए जाने वाले मेलों में जनजातीय उत्पादों को शामिल करें। प्रमुख सचिव श्रीमती पल्लवी जैन गोविल ने विभागीय गतिविधियों और अभिनव पहल की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आगामी भोपाल लिटरेचर फेस्टिवल में एक दिवस जनजातीय लिटरेचर पर केंद्रित करने का प्रयास किया जा रहा है। प्रदेश के 52 कि़लों को चिंहित कर पर्यटक गंतव्य के रूप में विकसित किया जा रहा है। इन पर्यटन केंद्रों से होने वाली आय स्थानीय जनजातीय समितियों को प्रदाय की जाएगी। जनजातीय उत्पादों को प्रसंस्कृत कर विक्रय व्यवस्थाओं के लिए बैतूल, खंडवा में फूड पार्क का प्रस्ताव भी तैयार किया गया है। उन्होंने बताया आठ जनजातीय कलाओं और कोदो कुटकी खाद्यान्न को जी.आई. टैग दिलाने के प्रयास प्रक्रियाधीन हैं।
फोटो इन्फो पर
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved