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बिहार चुनाव में तिकड़ी का धमाका: पीके, मायावती और ओवैसी ने कैसे जमाया गेम?

November 16, 2025

नई दिल्‍ली । बिहार(Bihar) विधानसभा चुनाव 2025 (Assembly Elections 2025)में एनडीए को प्रचंड(NDA gets a massive victory) जीत मिली है। सत्ताधारी गठबंधन को 202 सीटें मिलीं, जबकि महागठबंधन सिर्फ 35 सीटें ही हासिल कर सका। दोनों खेमों के लिए यह नतीजा चौंकाने वाला रहा। कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, ‘यह रिजल्ट हम सबके लिए अविश्वसनीय है। न सिर्फ कांग्रेस, बल्कि बिहार की जनता और हमारे गठबंधन सहयोगी भी इस पर विश्वास नहीं कर पा रहे। किसी पार्टी का 90% स्ट्राइक रेट हो, ऐसा कभी नहीं हुआ। हम पूरे बिहार से डेटा इकट्ठा कर रहे हैं और गहन विश्लेषण करेंगे।’

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बिहार की इस चुनावी कहानी का एक बड़ा हिस्सा छोटी पार्टियों और उनकी जीत के अंतर में छिपा है। राजनीतिक रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी पहली बार मैदान में उतरी। भले ही पार्टी एक भी सीट न जीत पाई, लेकिन 3.4 फीसदी वोट शेयर हासिल किया। जन सुराज तो खाता नहीं खोल पाई, लेकिन दोनों गठबंधनों के लिए वोट कटर साबित हुई। पीके की पार्टी ने जिन 238 सीटों पर चुनाव लड़ा, वहां एक पर दूसरे स्थान पर रही। 129 पर तीसरे, 73 पर चौथे, 24 पर पांचवें और 12 पर छठे से नौवें स्थान के बीच रही। इस तरह पार्टी ने दोनों एनडीए और एमजीबी को नुकसान पहुंचाया। 33 विधानसभाओं में जन सुराज का वोट शेयर जीत के अंतर से ज्यादा था। इनमें से 18 पर एनडीए और 13 पर महागठबंधन जीता।

मायावती ने किसे पहुंचाया नुकसान

मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने 181 सीटों पर चुनाव लड़ा। BSP एक सीट जीती और एक पर दूसरे स्थान पर रही। बरसों से इंडिया गठबंधन की पार्टियां बीएसपी पर बीजेपी की बी-टीम होने का आरोप लगाती रही हैं। यूपी विधानसभा और लोकसभा चुनावों के बाद ये आरोप और तेज हो गए। बिहार के नतीजों से संकेत मिलता है कि बीएसपी ने महागठबंधन को एनडीए से ज्यादा नुकसान पहुंचाया। 20 सीटों पर BSP ने जीत के अंतर से ज्यादा वोट हासिल किए। इनमें से 18 पर एनडीए और सिर्फ 2 पर एमजीबी जीती। मायावती की मौजूदगी ने 90% मामलों में एनडीए के पक्ष में काम किया।

औवैसी फैक्टर कैसे काम किया

असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने बिहार में अच्छा प्रदर्शन किया और 5 सीटें जीतीं। इसने 2020 के प्रदर्शन को बरकरार रखा। एआईएमआईएम एक सीट पर दूसरे स्थान पर भी रही। इसने 9 विधानसभाओं के नतीजों को प्रभावित किया, जहां इसके वोट जीत के अंतर से ज्यादा थे। इनमें से 67% सीटें एनडीए के पास गईं और 33% एमजीबी के। चुनावी नतीजों से संकेत मिलता है कि तीन-तरफा मुकाबला NDA के लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ। आरजेडी को 23.4% वोट मिले लेकिन सिर्फ 25 सीटें हासिल हुईं। बीजेपी ने 20.4% और जेडीयू 19.6% वोट शेयर के साथ तीन गुना ज्यादा सीटें जीतीं। इससे पता चलता है कि एनडीए ने अपने वोट बैंक को एकजुट किया जबकि विपक्ष का वोट बिखर गया।

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