
नई दिल्ली । रूस(Russia) के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन(President Vladimir Putin) और यूक्रेनी राष्ट्रपति(Ukrainian President ) वोलोदिमीर जेलेंस्की(Volodymyr Zelensky) को एक मंच पर लाने की तैयारी चल रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को पुतिन के साथ टेलीफोन पर बातचीत की। इस दौरान मध्य पूर्व में शांति प्रयासों और रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की संभावनाओं पर चर्चा हुई। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने बताया कि जेलेंस्की और पुतिन को ट्रंप एक ही मंच पर लाने की संभावना पर विचार कर रहे हैं और वह इसे संभव बनाने के लिए उत्सुक हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, ‘मैंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ टेलीफोन पर बातचीत की, जो बहुत सकारात्मक रही।’ उन्होंने बताया कि पुतिन ने मध्य पूर्व में शांति स्थापना के लिए यूएस की उपलब्धियों की सराहना की। ट्रंप ने कहा, ‘राष्ट्रपति पुतिन ने मुझे और अमेरिका को मध्य पूर्व में शांति की महान उपलब्धि के लिए बधाई दी, जिसे उन्होंने सदियों से सपना देखा गया बताया।’ उन्होंने यह भी विश्वास जताया कि मध्य पूर्व की सफलता रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में मददगार होगी।
रूस और अमेरिका के बीच व्यापार पर भी चर्चा
दोनों नेताओं ने युद्ध समाप्त होने के बाद रूस और अमेरिका के बीच व्यापार पर भी चर्चा की। ट्रंप ने लिखा, ‘हमने युद्ध खत्म होने के बाद रूस और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर भी काफी समय तक बात की।’
अब दोनों देशों के उच्च-स्तरीय सलाहकार अगले सप्ताह मुलाकात करेंगे, जिसमें अमेरिका की ओर से विदेश मंत्री मार्को रुबियो और अन्य प्रतिनिधि शामिल होंगे। बैठक का स्थान अभी तय किया जाएगा। ट्रंप ने यह भी पुष्टि की कि वह पुतिन के साथ हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में सीधे मुलाकात करेंगे।
शांति वार्ता की कोशिशें बार-बार विफल रहीं
रूस ने यूक्रेन के कुछ क्षेत्रों जैसे डोनबास और क्रीमिया पर नियंत्रण के लिए सैन्य कार्रवाई शुरू की, जिसे वह स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन कहता है। यूक्रेन इसे अपने संप्रभुता पर हमला मानता है। इस युद्ध ने हजारों लोगों की जान ली, लाखों को विस्थापित किया और अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया, खासकर ऊर्जा और खाद्य आपूर्ति को।
अमेरिका और नाटो ने यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक सहायता दी, जबकि रूस ने इस समर्थन की आलोचना की। युद्ध के कारण दोनों पक्षों में भारी नुकसान हुआ है और शांति वार्ता बार-बार विफल रही है। अब देखना है कि गाजा युद्धविराम के बाद की जा रही यह पहल किस हद तक कारगर साबित होती है।
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