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पैगंबर मोहम्मद के कार्टून विवाद पर फ्रांस के समर्थन में उतरा यूएई

नईदिल्ली। फ्रांस में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून को लेकर जहां कई मुस्लिम देशों में भयंकर नाराजगी देखने को मिल रही है, वहीं यूएई ने फ्रांस का समर्थन किया है। अबूधाबी के क्राउन प्रिंस और यूएई सेना के डेप्युटी सुप्रीम कमांडर मोहम्मद बिन जायेद अल नाहयान ने फ्रांस के नीस शहर में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है।

क्राउन प्रिंस ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से टेलिफोन पर बातचीत की और आतंकी हमले के पीड़ितों के प्रति अपनी संवेदना जाहिर की। क्राउन प्रिंस ने घायल लोगों के जल्द स्वस्थ होने की शुभकामनाएं दीं। शेख मोहम्मद ने कहा कि इस तरह की गतिविधियां शांति, सहिष्णुता और प्यार का पाठ पढ़ाने वाले सभी धर्मों के सिद्धांतों और मूल्यों के खिलाफ हैं।

क्राउन प्रिंस ने हेट स्पीच को सीधे तौर पर खारिज करते हुए कहा है कि इससे लोगों के आपसी रिश्तों को नुकसान पहुंचता है और अतिवादी विचारधारा को बढ़ावा मिलता है। यूएई के क्राउन प्रिंस ने कहा कि अपराध, हिंसा और आतंकवाद का किसी भी तरह से बचाव करना गलत है।

शेख मोहम्मद ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद के लिए मुसलमानों के मन में अपार आस्था है लेकिन इस मुद्दे को हिंसा से जोड़ना और इसका राजनीतिकरण करना बिल्कुल अस्वीकार्य है। बता दें कि फ्रांस की व्यंग्यात्मक मैगजीन शार्ली हेब्दो में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून फिर से छापे गए थे जिसे लेकर मुस्लिम देशों से तीखी प्रतिक्रिया आई। फ्रांस के नीस शहर में हुए हमले से पहले, एक स्कूल में पैगंबर का कार्टून दिखाने वाले एक टीचर का सिर कलम कर दिया गया था।

शेख मोहम्मद ने फ्रांस और अरब दुनिया के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि लोगों के बीच रिश्ते आपसी सम्मान पर आधारित होने चाहिए। शेख मोहम्मद ने फ्रांस में सांस्कृतिक विविधता की भी तारीफ की और कहा कि फ्रांस कई मुसलमानों का घर है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक अरब मुस्लिम देश होने के नाते यूएई की विचारधारा स्पष्ट है कि वह सहिष्णुता, सहयोग और दूसरों के प्रति प्यार जैसे मूल्यों को मानता है।

इससे पहले, यूएई के विदेश मंत्रालय ने आतंकवाद के खिलाफ इन आपराधिक कृत्यों की कड़ी निंदा करते हुए बयान जारी किया था। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था कि वह हिंसा के सभी रूपों को स्थायी रूप से खारिज करता है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने कहा था कि पैगंबर मोहम्मद के कार्टून को लेकर झुकने वाले नहीं है और उनके देश में शांतिपूर्ण तरीके से होने वाले सभी मतभेदों का सम्मान किया जाएगा। मैक्रों ने इस्लामिक कट्टरपंथ पर नकेल कसने की भी बात कही थी जिसे लेकर मुस्लिम देशों के नेताओं ने उन पर इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। पाकिस्तान, ईरान, तुर्की, बांग्लादेश और मोरक्को समेत कई देशों ने मैक्रों के बयान को लेकर नाराजगी जाहिर की है।

कई मुस्लिम नेता तो फ्रांस के नीस शहर में हुए हमले को जायज ठहराने की कोशिश भी करते नजर आए। मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने अपने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा था कि फ्रांस में अतीत में हुए नरसंहार को देखते हुए मुस्लिमों को नाराज होने और लाखों फ्रेंच को मारने का पूरा अधिकार है। हालांकि, मुस्लिमों ने आंख के बदले आंख वाले नियम पर कभी अमल नहीं किया और फ्रांस को भी अपने लोगों को दूसरों के प्रति सद्भावना सिखानी चाहिए। विवाद बढ़ने पर महातिर ने सफाई पेश की और कहा कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया।

महातिर ने ट्विटर के पोस्ट डिलीट करने को लेकर लिखा, एक तरफ वे पैगंबर मोहम्मद के कार्टून दिखाए जाने का बचाव करते हैं और मुस्लिमों से उम्मीद करते हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर मुस्लिम इसे बर्दाश्त करें। दूसरी तरफ, उन्होंने जानबूझकर ये ट्वीट डिलीट कर दिया जिसमें मैंने कहा कि मुस्लिमों ने कभी भी अतीत में अपने साथ हुए अन्याय का बदला लेने की कोशिश नहीं की…मेरे आर्टिकल के खिलाफ ऐसे रिएक्शन इसलिए दिए जा रहे हैं ताकि मुस्लिमों के खिलाफ फ्रांस के लोगों की नफरत बढ़ाई जा सके।

 

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