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ओलंपिक खत्म होने के बाद क्या होता है अरबों के स्टेडियम का हाल? फोटोज में सामने आई सच्चाई

डेस्क। 2020 टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics 2020) कोरोना की वजह से इस साल आयोजित किया जा रहा है. गेम्स की शुरुआत हो चुकी है और कई प्रतिस्पर्धाएं होने लगी हैं. हर तरह के खेल के लिए अलग स्टेडियम (Staidums In Olympics) बनाया गया है. साथ ही खिलाड़ियों के रहने के लिए ओलंपिक गांव (Olympics Village) बसाया गया है. हर बार जिस देश में इस खेल का आयोजन होता है, वहां ऐसा ही सेट अप बनाया जाता है जिसमें अरबों रुपए लग जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक बार ये महाकुंभ खत्म होने के बाद इन स्टेडियम्स और इन गांवों का क्या होता है?

टोक्यो ओलंपिक्स एशिया में हुआ तीसरा आयोजन है. इससे पहले 2018 में साउथ कोरिया और फिर चीन में इनका आयोजन तय किया गया. इन गेम्स का आयोजन करवाने में मेजबान देश सालों तैयारी करते हैं. स्टेडियम्स बनाए जाते हैं. खिलाडियों के रहने के लिए गांव बसाए जाते हैं. फ़ूड कोर्ट से लेकर शॉपिंग मॉल बनाए जाते हैं. लेकिन एक बार ये गेम्स खत्म हो जाए, उसके बाद क्या होता है, इसकी कोई खबर नहीं लेता. सोशल मीडिया पुराने ओलंपिक वेन्यूज की तस्वीरें वायरल हो रही हैं. इसमें देख सकते हैं कि कैसे गेम्स के बाद स्टेडियम्स बर्बाद हो जाते हैं.


बेकार हो जाते हैं महंगे स्टेडियम्स : ओलंपिक गेम्स के आयोजन में करोड़ों से अरबों खर्च होते हैं. जैसे ही गेम्स खत्म होते हैं मेजबान देश कुछ समय के लिए इन स्टेडियम्स पर ध्यान देते हैं. लेकिन ज्यादातर केसेस में ये बाद में बेकार हो जाते हैं. इनमें घास-फूस उग आते हैं. लोगों को एंट्री नहीं मिलती ना इनमें किसी तरह का गेम आयोजित होता है. जिसका नतीजा होता है कि ये स्टेडियम्स बेकार हो जाते हैं और फिर बर्बाद हो जाते हैं.

बंद कर दिए गए ज्यादातर स्टेडियम : जिस भी देश में ओलंपिक का आयोजन हुआ है, उसमें से ज्यादातर स्टेडियम अब बंद हैं. कई रख-रखाव के अभाव बर्बाद हो गए हैं. कुछ तो टूट गए जिसकी वजह से देश की सरकार ने उसे बंद ही करवा दिया. तो कई स्टेडियम में बड़े-बड़े घास भर गए. अगर स्टेडियम में लकड़ी का काम किया गया था, तो वो सड़ चुका है. आम लोगों के लिए इसे खोला ही नहीं गया और आज महंगे स्टेडियम्स बर्बाद हैं.

भारत की भी यही स्थिति : भारत में आज तक ओलंपिक का आयोजन नहीं हुआ. लेकिन दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन किया गया था. इसके बाद देश के झारखंड में भी खेलगांव बनाया गया. दोनों ही जगहों की लगभग एक ही कहानी है. इन्हें खिलाड़ियों के प्रैक्टिस के लिए भी नहीं खोला जा रहा. इसकी वजह से ये स्टेडियम्स भी अब धीरे-धीरे यूजलेस हो रहे हैं. अब देखना है कि आखिर टोक्यो ओलंपिक के बाद यहां स्टेडियम्स का क्या हाल होगा?

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