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जेल में रहकर भी सीएम पद से चिपके रहना केजरीवाल की कैसी नैतिकता – कांग्रेस नेता संजय निरुपम


नई दिल्ली । कांग्रेस नेता संजय निरूपम (Congress Leader Sanjay Nirupam) ने कहा कि जेल में रहकर भी (Despite being in     Jail) सीएम पद से चिपके रहना (Hold on to the post of CM) केजरीवाल की कैसी नैतिकता है (What kind of Morality does Kejriwal) ? दिल्ली की अब रद्द की जा चुकी आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धन-शोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के संयोजक और राज्य के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता संजय निरूपम ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए उन पर निशाना साधते हुए लिखा है कि अरविंद केजरीवाल हिरासत में होने के बावजूद सीएम पद से अभी तक चिपके हुए हैं। यह कैसी नैतिकता है?

अदालत ने सीएम केजरीवाल को 28 मार्च तक की ईडी रिमांड पर भी भेज दिया है। वहीं, केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर आम आम आदमी पार्टी के साथ-साथ ‘इंडिया’ गठबंधन के कई दल उनके समर्थन में आ गए हैं। कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेताओं ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का जमकर विरोध किया है। दिल्ली की सात लोकसभा सीटों के लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग को लेकर समझौता हो गया है। दोनों दल गठबंधन के तहत लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले है। ऐसे में महाराष्ट्र कांग्रेस नेता का बयान मायने रखता है।

संजय निरुपम ने अपने पोस्ट में लिखा, ”दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने जीवन के सबसे बड़े संकट से गुजर रहे हैं। इंसानियत के नाते उनके प्रति सहानुभूति है। कांग्रेस पार्टी ने भी उन्हें सार्वजनिक रूप से समर्थन दिया है। लेकिन वह भारतीय राजनीति में नैतिकता की जो नई परिभाषा लिख रहे हैं, उसने मुझे यह पोस्ट लिखने के लिए मजबूर कर दिया। एक समय था जब एक हवाला कारोबारी जैन की कथित डायरी में आडवाणी जी, माधवराव सिंधिया और कमलनाथ जैसे नेताओं के नाम आए थे, और उन पर रिश्वत लेने के आरोप लगे। तब उन्होंने नैतिकता का तक़ाज़ा देकर तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। (तत्कालीन रेल मंत्री) लाल बहादुर शास्त्री ने एक ट्रेन दुर्घटना पर इस्तीफा दे दिया था। अभी हाल में जब वह (केजरीवाल) इंडिया अगेंस्ट करप्शन का तमाशा पूरे देश को दिखा रहे थे, तब यूपीए सरकार के मंत्रियों ने भ्रष्टाचार के छिछले आरोपों पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। कुछ महीने पहले की बात है, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गिरफ्तारी से पहले पद छोड़कर एक नैतिक आचरण पेश किया था।

”हज़ारों साल पीछे जाएं तो अपने पिता के वचन के लिए राम ने राजपाट त्याग दिया था। जिसके लिए राजपाट छीना गया था, वह कभी भी राजा रामचंद्र के सिंहासन पर नहीं बैठा। बल्कि खड़ाऊं रखकर तब तक राज चलाया जब तक उनके बड़े भाई राम लौटे नहीं। भारत की ऐसी समृद्ध परंपरा रही है।”उन्होंने केजरीवाल पर हमला करते हुए लिखा, ”दिल्ली के आबकारी घोटाले की सच्चाई क्या है, इसका फ़ैसला अदालत को करना है। पर एक मुख्यमंत्री पर इस घोटाले में भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। उनकी गिरफ्तारी हुई है। वह हिरासत में हैं और मुख्यमंत्री की कुर्सी से अभी तक चिपके हुए हैं? यह कैसी नैतिकता है? उन्हें तत्काल अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। भारत की राजनीति में महज 11 साल पुरानी पार्टी राजनीति के पूरी तरह अनैतिक हो जाने की एक मिसाल पेश कर रही है। हम अपने-अपने राजनीतिक कुनबे के हिसाब से पूरी घटना पर स्टैंड ले रहे हैं, पर खतरा यह है कि केजरीवाल जी की अपनी कुर्सी से चिपके रहने की ज़िद आगे जाकर भारतीय राजनीति को और खोखला कर देगी। इस खतरे को राजनीति से ऊपर उठकर भांपने की आवश्यकता है।”

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