
इन्दौर। सर्वानंद नगर के बाद हरगोविंद नगर में अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की नगर निगम की कार्रवाई पर लोगों ने सवाल खड़े कर दिए हैं। लोगों का कहना है कि जब यह इमारतें बन रही थीं तब नगर निगम के अफसर क्या कर रहे थे? उनका कहना है कि निगम के अधिकारी पहले लेन-देन करके अवैध निर्माण होने देते हैं और बाद में उसे तोडऩे पहुंच जाते हैं।
मंगलवार सुबह नगर निगम की रिमूवल टीम प्रशासन और पुलिस के बड़े अफसर के साथ सर्वानंद नगर से लगे हरगोविंद नगर में अवैध रूप से बनाए गए तीन होस्टल तोडऩे पहुंची। निगम के अफसरों का कहना था कि यह निर्माण बिना किसी अनुमति के किए गए हैं और हमने इन्हें हटाने के लिए नोटिस भी जारी किए थे। नोटिस की समयावधि पूर्ण होने के बाद ही हम यह निर्माण तोड़ रहे हैं। जिन लोगों के यह निर्माण थे उन्होंने मौके पर ही आरोप लगाया कि क्षेत्रीय पार्षद सुनील हार्डिया ने नोटिस मिलने के बाद हमें आश्वासन दिया था।
जब निगम की टीम आज सुबह निर्माण तोडऩे पहुंची तो पार्षद ने हमारे फोन भी नहीं उठाए और जब हम उनसे मिलने पहुंचे तो उन्होंने हाथ खड़े कर दिए। सूत्रों के मुताबिक सर्वानंद नगर में अवैध होस्टल तोडऩे की कार्रवाई के बाद जब नगर निगम ने इस क्षेत्र के अन्य अवैध निर्माण को लेकर नोटिस जारी किया और अवैध निर्माण के बाहर पोस्टर लगाकर लोगों को सचेत किया, तब प्रभावित लोगों को क्षेत्रीय पार्षद ने जहां आश्वासन दिया, वहीं वे महापौर पुष्यमित्र भार्गव से मिलने भी गए थे, लेकिन महापौर ने उन्हें फटकारकर वापस लौटा दिया था। उनका कहना था कि अवैध निर्माण के साथ किसी तरह की रियायत नहीं बरती जाएगी।
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