img-fluid

Bihar Election Results: कौन सी 6 सीटें बदल सकती हैं बिहार की राजनीति? जानिए उनका रिकॉर्ड और प्रभाव

November 14, 2025

नई दिल्‍ली । बिहार(Bihar) विधानसभा चुनाव(assembly elections) के नतीजे आज आने वाले हैं। राज्य के सभी 243 सीटों पर दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को मतदान हुए थे। आज सुबह 8 बजे से राज्य के सभी 38 जिलों में बने 46 मतगणना केंद्रों पर मतों की गिनती शुरू हो जाएगी। उससे पहले देशभर में यह उत्सुकता और कौतूहल बना हुआ है कि राज्य में अगली सरकार किसकी बनेगी। इस बीच उन छह सीटों की भी चर्चा हो रही है, जो इस बात के लिए निर्णायक रहे हैं कि वहां जिस पार्टी की जीत होगी, पटना में सरकार उन्हीं की बनेगी।


तो आइए जानते हैं कि वे 6 विधानसभा सीटें कौन हैं, जो इशारा करते हैं कि राज्य में नीतीश या तेजस्वी सरकार बनेगी? इस सूची में सबसे ऊपर मधुबनी जिले का केवटी विधानसभा क्षेत्र है, जिसका 100% ट्रैक रिकॉर्ड सरकार बनाने वाली पार्टी के साथ जाने का रहा है। 1977 से 2020 तक इस सीट का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है कि वहां उसी पार्टी की जीत हुई है, जिसकी राज्य में सरकार बनी है। 1977 में इस सीट से जनता पार्टी की जीत हुई थी और राज्य में जनता पार्टी की ही सरकार बनी थी। तब से इस सीट पर जीतने और सरकार बनाने के बाद से केवटी के मतदाता कभी गलत नहीं हुए हैं।

2020 से भाजपा का कब्जा

1980 और 1985 में कांग्रेस ने दो बार यह सीट जीती और राज्य में सरकार बनाई। पहले जनता दल और फिर राजद ने 2000 तक तीन बार यह सीट जीती और पार्टी ने सरकार बनाई। 2005 और 2010 में भाजपा ने यहां से जीत दर्ज की और नीतीश की NDA सरकार में शामिल हुई। 2015 में राजद ने भाजपा से यह सीट छीन ली। तब राज्य में राजद-जदयू-कांग्रेस की सरकार बनी। 2020 में यह सीट फिर से भाजपा के खाते में गई और एनडीए की सरकार बनी। इस सीट से वर्तमान में भाजपा के मुरारी मोहन झा विधायक हैं। पार्टी ने उन्हें फिर से उम्मीदवार बनाया है। उनका मुकाबला राजद उम्मीदवार फ़राज़ फ़ातमी से है, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री अली अशरफ फातमी के बेटे हैं।

इसी तरह सहरसा सीट भी एक निर्णायक सीट रही है कि राज्य में किसकी सरकार बनेगी। 1977 से पहले इस सीट से कांग्रेस की जीत होती रही और राज्य में उसी पार्टी की सरकार बनती रही। 1977 में यहां से जनता पार्टी के शंकर प्रसाद टेकरीवाल जीते और राज्य में जनता पार्टी की सरकार बनी। 1980 और 1985 में फिर से कांग्रेस के रमेश झा और सतीश चंद्र झा जीते और राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी।

2005 में भाजपा ने ली एंट्री

1990 से 2000 तक यहां से फिर टेकरीवाल जनता दल और राजद से जीते। राज्य में उसी पार्टी की सरकार बनी और टेकरीवाल लालू-राबड़ी सरकार में मंत्री बने लेकिन 2005 और 2010 में यहां से भाजपा की जीत हुई। 2015 में एक बार फिर राजद और 2020 में फिर से भाजपा की जीत हुई। फिलहाल, इस सीट पर भाजपा के निवर्तमान विधायक आलोक रंजन झा हैं। झा एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं। महागठबंधन की तरफ से आईआईपी के इंद्रजीत गुप्ता उनके प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार हैं।

मुजफ्फरपुर जिले की सकरा विधानसभा सीट भी इसी तरह की एक सीट बनने के करीब है। सकरा में 1977 के बाद से केवल एक बार ही गड़बड़ी हुई है। 1985 में लोकदल के शिवनंदन पासवान ने यह सीट जीती थी, जबकि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी थी। 1985 को छोड़कर, यह सीट उसी पैटर्न पर चलती रही कि ज्सकी यहां जीत होगी, उसी की सरकार बनेगी। वर्तमान में यह सीट जदयू के पास है।

इसी तरह मुंगेर विधानसभा सीट पर 1985 में एक बार उलटफेर हुआ था, जब लोकदल के उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी, जबकि कांग्रेस ने सरकार बनाई थी। मुंगेर का प्रतिनिधित्व वर्तमान में भाजपा के प्रणय कुमार यादव कर रहे हैं।

पूर्वी चंपारण की पिपरा एक और सीट है, जहाँ 2015 में केवल एक बार उलटफेर हुआ था। 2015 में, भाजपा के श्यामबाबू प्रसाद यादव ने यह सीट जीती थी, जबकि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन ने सरकार बनाई थी। यादव इस सीट से वर्तमान विधायक हैं और माकपा के राजमंगल प्रसाद के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।

शेखपुरा जिले की बरबीघा एक और सीट है जो इसी तरह का मानक पेश कर रही है। यह सीट 1977 में जनता पार्टी और फिर 2000 तक कांग्रेस ने जीती थी। 2000 में, कांग्रेस राज्य में राजद सरकार का हिस्सा बन गई। 2015 में, यह सीट कांग्रेस के सुदर्शन कुमार ने जीती और 2020 में कुमार जदयू के टिकट पर जीते।

Share:

  • Report: चारधाम में बढ़ते श्रद्धालु हिमालयी परिस्थितकी तंत्र के लिए बन सकते हैं खतरा

    Fri Nov 14 , 2025
    अल्मोड़ा। उत्तराखंड (Uttarakhand) के चारधाम (Char Dham ) बद्रीनाथ (Badrinath), केदारनाथ (Kedarnath), गंगोत्री (Gangotri) और यमुनोत्री (Yamunotri) में क्षमता से अधिक श्रद्धालु हिमालय की पारिस्थितिकी और पर्यावरण के लिए खतरा बन सकते हैं। वैज्ञानिकों ने 23 साल के आंकड़ों के अध्ययन के आधार पर पहली बार इन धामों की वहन क्षमता (कैयरिंग कैपैसिटी) तय की […]
    सम्बंधित ख़बरें
    लेटेस्ट
    खरी-खरी
    का राशिफल
    जीवनशैली
    मनोरंजन
    अभी-अभी
  • Archives

  • ©2025 Agnibaan , All Rights Reserved