धर्म-ज्‍योतिष

शनिदेव की मूर्ति को घर में क्यों नहीं रखा जाता, जानिए इसके पीछे की वजह

नई दिल्‍ली। हिंदू धर्म (Hindu Religion) में हर दिन किसी ना किसी भगवान को समर्पित है। शनिवार का दिन भगवान शनि को समर्पित है। हिंदू परिवारों के घरों में छोटे मंदिर और उनमें राधा-कृष्ण, शिव परिवार, गणेशजी और भगवान राम (Ganeshji and Lord Ram) के अलावा तमाम देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी मिलेंगी, लेकिन न्याय के देवता शनिदेव के साथ मां दुर्गा की कालरात्रि वाली मूर्ति और भैरवनाथ की मूर्ति नहीं मिलेगी।

शनि देव को बहुत क्रूर देवता माना जाता है। वे कर्मों के अनुसार फल देते हैं और इसलिए उन्‍हें न्‍याय का देवता (god of justice) भी कहा जाता है। शनि देव की कृपा इंसान के वारे न्‍यारे कर देती है। इसलिए शनि के भक्‍तों की कमी नहीं है और शनिवार समेत खास मौकों पर शनि मंदिरों में भक्‍तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। लेकिन कभी सोचा है कि बाकी भगवानों की तरह शनि देव की मूर्ति या फोटो (Statue or photo of Shani Dev) घर में क्‍यों नहीं रखी जाती है।


शास्त्रों (scriptures) में कुछ देवी-देवताओं की मूर्तियां या उनकी तस्वीरों को घर में रखना वर्जित माना गया है। इन्हीं में से एक शनिदेव की प्रतिमा भी है। मान्यता है कि शनिदेव को श्राप मिला हुआ है, इसके अनुसार वह जिस भी किसी को देखेंगे उसका अनिष्ट हो जाएगा। इसलिए शनिदेव की दृष्टि (sight of shani dev) से बचने के लिए घर में बने पूजा घर में उनकी मूर्ति या फोटो रखना वर्जित माना गया है। इतना ही नहीं शनि देव की पूजा करते समय भी कभी भी उनकी मूर्ति के सीधे सामने खड़े होकर उनके दर्शन नहीं करने चाहिए। बल्कि हमेशा मूर्ति के दाएं या बाईं ओर खड़े होकर शनि देव के दर्शन करने चाहिए।

ऐसे में शनिदेव की पूजा करने के लिए घर के बाहर मंदिर में जाना चाहिए। हालांकि, इस बात का ध्यान विशेष तौर पर रखना चाहिए कि शनिदेव के दर्शन करते समय उनके पैरों की तरफ देखना चाहिए, ना कि उनकी आंखों से आंख मिलानी चाहिए। शनिदेव की पूजा करते समय मन में उनका स्मरण कर, ‘ॐ शन्नो देवी रभिष्टय आपो भवन्तु पीपतये शनयो रविस्र वन्तुनः’ इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

पीपल के पेड़ की पूजा करना, सरसों के तेल का दीपक जलाना या शनि का दान करना भी शनि की कृपा पाने का सबसे अच्‍छा तरीका है। गरीबों, असहायों की मदद करने और उनकी सेवा करने से भी शनि देव बहुत प्रसन्‍न होते हैं। शनि देव की दृष्टि से बचने के लिए बेहतर है कि शनि देव की मूर्ति की बजाय उनके शिला रूप के दर्शन करने चाहिए।

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