
बागलकोट: कर्नाटक (Karnataka) के बागलकोट जिले (Bagalkot District) से मनरेगा योजना (Manrega Scheme) में बड़े घोटाले (Big Scam) का मामला सामने आया है. यहां एक शख्स (Person) ने महिला (Woman) का रूप धरकर साड़ी पहनकर फोटो खिंचवाई और उस फोटो को काम के बिल (Work Bill) में मज़दूर (Labourers) के तौर पर इस्तेमाल कर दिया गया. ये मामला सिर्फ फोटो तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इस एक ही फोटो को कई ग्राम पंचायतों (Gram Panchayats) में अलग-अलग नामों से अपलोड कर भुगतान (Payment) भी ले लिया गया.
यह अजीबोगरीब घटना बागलकोट जिले के इलकल तालुक के चिकनल गांव की है, जहां एक आदमी ने ‘मंगलम्मा आरी’ नाम से महिला बनकर ब्लॉक प्लांटेशन के काम का दावा किया. फोटो में वह साड़ी पहने हुए नज़र आया. यही फोटो योजना के तहत बिल जमा करते समय भी अपलोड कर दी गई. यह सीधे-सीधे पंचायत राज के नियमों की अवहेलना है.
हुनगुंडा पंचायत राज विभाग की जांच में सामने आया कि मनरेगा के मजदूरों का उपयोग आंगनवाड़ी भवन निर्माण में अवैध रूप से किया गया है. यही नहीं, गंजिहाल और बिंजवदगी ग्राम पंचायतों के आंगनवाड़ी भवन के काम के लिए भी एक ही मजदूर की फोटो का इस्तेमाल हुआ. नाम अलग-अलग थे, पर फोटो एक ही. इतना ही नहीं, रामवदगी और चिन्नापुर एसटी गांव के कामों में भी वही तस्वीर अपलोड की गई.
मनरेगा के नियमों के अनुसार, किसी भी पंचायत के अंतर्गत होने वाले काम में उसी पंचायत के मजदूरों को लगाया जाना चाहिए. लेकिन यहां तो तस्वीर की भी सीमा नहीं रही! एक ही मजदूर की फोटो न सिर्फ अलग पंचायतों, बल्कि अलग-अलग तालुकों में भी इस्तेमाल की गई. यह साफ दर्शाता है कि योजना में गहरी अनियमितताएं फैली हुई हैं.
इस पूरे मामले ने पंचायतों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. जब एक ही फोटो को तीन-चार जगहों पर मज़दूर बताकर अपलोड किया गया और पैसे भी निकाल लिए गए, तो यह कैसे हुआ? क्या यह अधिकारियों की मिलीभगत का हिस्सा है या निगरानी तंत्र की विफलता? स्थानीय प्रशासन से लेकर उच्चस्तरीय विभाग तक जांच की ज़रूरत है.
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