धर्म-ज्‍योतिष

बलदाऊ मंदिर में कोरोना की पड़ी मार, जन्माष्टमी पर नहीं होंगे सांस्कृतिक आयोजन

हमीरपुर नगर में 140 साल पुराने बलदाऊ मंदिर में जन्माष्टमी पर्व को लेकर सन्नाटा पसरा है। कोरोना महामारी के कारण इस प्राचीन मंदिर की सजावट तक नहीं करायी जा सकी जबकि मंदिर के कपाट भी बाहर से बंद है। हालांकि पुजारी ने बुधवार को यहां श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव सादगी के साथ मनाये जाने का एलान किया है।

नगर के विद्यामंदिर रोड पर बलदाऊ मंदिर स्थित है। इसकी ऊंचाई करीब चालीस फीट है। इस मंदिर में बलदाऊ और उनकी पत्नी की भव्य मूर्तियां विराजमान है। ये दोनों मूर्तियां अष्टधातु की है जो करीब ढाई फीट है। बीच में श्रीकृष्ण की अद्भुत मूर्ति भी बांसुरी बजाने की मुद्रा में विराजमान है। मंदिर के अंदर शिव लिंग और इसके ठीक सामने हनुमान जी की प्रतिमा विराजमान है। जन्माष्टमी से कुछ दिन पहले ही मंदिर की रंगाई और पुताई होती थी। जन्मोत्सव की रात बलदाऊ मंदिर में बिजली के झालर लगाये जाते थे लेकिन इस बार मंदिर वीरान नजर आ रहा है। मंदिर के प्रमुख गेट पर ताला पड़ा है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि सामाजिक दूरी के बीच जन्मोत्सव मनाना जायेगा और प्रसाद का वितरण होगा। बाकी श्रद्धालुओं की भीड़ यहां नहीं जुटने दी जायेगी। कोरोना महामारी के कारण सादगी के साथ ही जन्माष्टमी पर्व मनाया जायेगा।

मन्नतें पूरी होने पर 1880 में बनवाया गया था भव्य मंदिर

मंदिर के पुजारी जगत प्रसाद महाराज ने मंगलवार को बताया कि हमीरपुर नगर के खजांची मुहाल निवासी प्रेम अग्रवाल के वंशज सैकड़ों साल पहले इटावा से आकर यहां बसे थे। इनके पूर्वजों के यहां संतानें नहीं होती थी। इसलिये इन्होंने हर जगह माथा टेका लेकिन कोई सफलता नहीं मिली थी। एक दिन स्वप्न में इन्हें बलदाऊ का मंदिर बनवाकर श्रीकृष्ण व अन्य देवताओं की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा कराने को कहा गया। पुजारी बाबा ने बताया कि गोपाल दास, लाला भवानी प्रसाद इटावा ने यहां वर्ष 1880 में श्री बलदाऊ मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर बनने के बाद इनका वंश आगे बढ़ा। ये मंदिर काफी बड़े क्षेत्र में बना है। मंदिर की नक्काशी भी बेजोड़ है। पुजारी महाराज ने दावा किया है कि मंदिर में आकर बलदाऊ व श्रीकृष्ण के दर्शन करने मात्र से ही दिन अच्छा बीतता है। हर संकट से लोग सुरक्षित रहते है।

श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़

बलदाऊ मंदिर के पुजारी ने बताया कि हर साल मंदिर में जन्माष्टमी की रात रमेड़ी, सुभाष बाजार, किंग रोड, मिश्राना, नौबस्ता तथा आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती थी। यहां जहानाबाद से सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिये एक पार्टी भी आती थी जो लगातार छह दिनों तक मंदिर में धार्मिक आयोजन करती थी लेकिन अबकी बार कोरोना वायरस महामारी के कारण सारे कार्यक्रम रद्द कर दिये गये है। रमेड़ी मुहाल की राधा शुक्ला, बबलू अवस्थी सहित अन्य लोगों ने बताया कि जन्माष्टमी की रात बड़ी संख्या में लोग मंदिर में श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव पर शामिल होते थे इसके बाद ही अपने घरों में जाकर जन्माष्टमी मनाया जाता था मगर अबकी बार जन्मोत्सव के रंगारंग कार्यक्रम नही होने से श्रद्धालुओं में मायूसी देखी जा रही है।

श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव में 56 प्रकार का चढ़ता था भोग

मंदिर के पुजारी जगत प्रसाद ने बताया कि पिछले साल बलदाऊ मंदिर में जन्माष्टमी की रात श्रीकृष्ण की मूर्ति को 56 प्रकार का भोग अर्पित किया गया था। इस तरह का भोग चढ़ाने की परम्परा भी सैकड़ों सालों से चली आ रही है मगर अबकी बार ऐसे अद्भुत आयोजन पर कोरोना का ग्रहण लग गया है। जन्माष्टमी की रात मंदिर में लोग नाचते थे। हमीरपुर के तत्कालीन एडीएम राजेश कुमार प्रजापति की पत्नी डा.श्रेया भी मंदिर में एक बड़ा कार्यक्रम कराती थी। मटकी फोड़ कार्यक्रम में पूरे नगर के लोग हिस्सा लेते थे वहीं महिलाओं के भी भजन कीर्तन देखने को मिलते थे। पर अब यहां मंदिर में सन्नाटा पसरा है।

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