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पहचान के इंतजार में 100 शव, अपनों के जिंदा होने की उम्मीद में लोग भटकने को मजबूर

बालासोर। बालासोर (BalaSoar) में हुए ट्रेन हादसे (Train Accident) के बाद भी इस भयावह हादसे के जख्म हरे हैं। राहत-बचाव कार्य भले ही पूरा हो गया हो, पटरियां दुरुस्त हो गई हों लेकिन, अभी भी इसके निशान बाकी हैं। अपनों को खो चुकी वो आंखे अभी भी इस उम्मीद हैं कि शायद कोई चमत्कार हो जाए और उनका अपना सामने आ खड़ा हो। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 275 में से तकरीबन 100 शवों की शिनाख्त अभी बाकी है। लोग मुर्दाघरों से लेकर उन अस्पतालों के भी चक्कर लगा रहे हैं, जहां घायलों का इलाज चल रहा है।


अधिकारियों के मुताबिक, इन शवों को एम्स भुवनेश्वर और चार अन्य निजी अस्पतालों के मुर्दाघर में रखा गया है। मुख्य सचिव प्रदीप कुमार जैन ने जानकारी दी कि कई शवों की शिनाख्त हो चुकी है, बाकियों की पहचान का काम चल रहा है। उधर, कई लोग अभी भी अपने प्रियजनों को तलाश रहे हैं। कईयों को उम्मीद है कि उनके वो अपने जो उस शाम कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार थे, जिंदा बचे हैं। ये लोग मुर्दाघरों से लेकर उन अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं, जहां घायलों का इलाज चल रहा है।

ओडिशा के मुख्य सचिव प्रदीप कुमार जैन ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार ने 275 मौतों की पुष्टि की है। “रविवार दोपहर 2 बजे तक, 180 शवों को मृतकों के परिजनों को सौंप दिया गया था। हमने बालासोर में 85 और भुवनेश्वर में 95 शव सौंपे हैं। शव की शिनाख्त की प्रक्रिया चल रही है।’ उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शवों को भुवनेश्वर के शवगृहों से उनके पैतृक स्थानों तक पहुंचाने का खर्च वहन करेगी। हमारे अधिकारी शवों की पहचान करने से लेकर उन्हें उनके घर सौंपने तक हर चीज का समन्वय कर रहे हैं।

शवों की पहचान को क्या कर रहा प्रशासन
मुख्य सचिव प्रदीप कुमार जैन ने कहा, “अब हमारे शवगृहों में 80 शव हैं। शिनाख्त की प्रक्रिया जारी है। हमने आधुनिक संरक्षण सुविधाओं वाले कंटेनरों के अंदर शवों को सुरक्षित रखने के लिए पारादीप बंदरगाह से पांच कंटेनर मांगे हैं। एक कंटेनर में 30 से 40 शव आ सकते हैं। इसके अलावा, हमारे पास डीप फ्रीजर हैं।’ उन्होंने कहा कि शवों पर लेप लगाने के लिए एम्स दिल्ली और रायपुर एम्स और अन्य जगहों से विशेषज्ञ आए हैं। एम्स भुवनेश्वर ने पहचान के लिए शवों की तस्वीरें दिखाने के लिए बड़ी स्क्रीन लगाई हैं। अगर किसी की फोटो मैच करती है तो परिजन मुर्दाघर में पुष्टि के लिए जा सकते हैं।

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