भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में अब जरूरी होगी 30 बिस्तर की आपातकालीन इकाई

भोपाल। दो महीने पहले एमसीआई की जगह बने नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने एमबीबीएस सीटों की मान्यता के लिए मापदंडों में कई बड़े बदलाव किए हैं। इसमें मेडिसिन व सर्जरी की तरह मेडिकल कॉलेजों में अब क्रिटिकल केयर मेडिसिन का नया विभाग बनाने की व्यवस्था की गई है। इसके विभाग के अधीन 30 बिस्तर की आपातकालीन चिकित्सा इकाई भी अस्पताल में बनाना अनिवार्य कर दिया गया है। 2022-23 के सत्र से मेडिकल कॉलेजों को मान्यता आपातकालीन इकाई, इसके लिए फैकल्टी व उपकरण होने पर ही मिल पाएगी। इस लिहाज से जनवरी 2022 तक अस्पतालों को तय मापदंडों के अनुसार यह इकाई तैयार करनी होगी। अभी तक यह इकाई होना मान्यता के लिए बाध्यकारी नहीं था। यूनिट बनने का फायदा यह होगा कि अब इरमजेंसी में आने वाले गंभीर मरीजों को जल्दी और बेहतर इलाज मिल सकेगा। अति गंभीर, कम गंभीर और सामान्य मरीजों के लिए इस इकाई में क्रमश: रेड जोन, यलो जोन और ग्रीन जोन बनाकर बिस्तर आरक्षित किए जाएंगे। तीनों जोन के लिए कुल 24 बिस्तर होंगे। इसके अलावा छह बिस्तर का इमरजेंसी आइसीयू व एक ओटी भी बनाया जाएगा। मेडिकल कॉलेजों से संबद्घ प्रदेश के अस्पतालों में अभी आपातकालीन चिकित्सा विभाग तो बने हैं।
लेकिन मान्यता के लिए अनिवार्य शैक्षणिक विभाग नहीं होने से उसके लिए बिस्तर, उपकरण और फैकल्टी का कोई मापदंड नहीं था। उदाहरण के तौर पर हमीदिया अस्पताल की इमरजेंसी को ही लें तो यह सिर्फ जूनियर डॉक्टरों के भरोसे चल रही है। नई व्यवस्था में क्रिटिकल केयर मेडिसिन (आपातकालीन चिकित्सा) के लिए चार फैकल्टी होंगे। एनएमसी के नए नियम में यह भी प्रविधान किया गया है कि अस्पतालों में दवा वितरण की सुविधा 24 घंटे उपलब्ध कराई जाएगी। अभी ज्यादातर अस्पतालों में सिर्फ ओपीडी के समय तक ही दवाएं मिलती हैं। इसके बाद इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को बाजार से दवाएं खरीदनी पड़ती हैं। यह व्यवस्था भी अस्पतालों को अगले साल मार्च के पहले करनी होगी, तभी 2021-22 के लिए मान्यता मिल पाएगी।

वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी डॉक्टरों की हाजिरी
नई व्यवस्था में मेडिकल कॉलेज व संबद्घ अस्पतालों के चिकित्सकों की हाजिरी के लिए बायोमैट्रिक व्यवस्था 2021-22 के सत्र से अनिवार्य होगी। इन डॉक्टरों की हाजिरी की रिपोर्ट भी कॉलेज की वेबसाइट पर हर दिन अपलोड की जाएगी। यह व्यवस्था इसलिए की जा रही है चिकित्सक तय समय पर आएं और जाएं। इसके अलावा सीसीटीवी कैमरों से कक्षाओं की और मरीजों से ज़ुडी सुविधाओं की निगरानी की जाएगी।

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