
ग्वालियर। मध्य प्रदेश पुलिस (Madhya Pradesh Police) के वायरल डीएसपी संतोष पटेल (DSP Santosh Patel) उस वक्त हैरान रह गए जब उन पर छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की एक आदिवासी महिला ने आरोप लगाया कि उन्होंने पुलिस में उसके लड़कों को भर्ती कराने के नाम पर उससे 72 लाख रुपए ठग लिए। आलम यह कि पीड़िता ने शिकायत पीएमओ यानी प्रधानमंत्री कार्यालय (Prime Minister’s Office) तक पहुंचा दी। आरोपी की तलाश में छत्तीसगढ़ पुलिस जब एमपी पहुंची और डीएसपी संतोष पटेल से संपर्क किया तब जाकर मामले में हैरान कर देने वाला खुलासा हुआ।
दरअसल, छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के कुसमी पुलिस थाने में एक आदिवासी महिला ने शिकायत दर्ज कराई कि मध्य प्रदेश पुलिस के डीएसपी संतोष पटेल ने पुलिस की नौकरी लगाने के नाम पर चार वर्षों के दौरान उससे 72 लाख रुपए ठगे। महिला का कहना था कि वह आरोपी से कभी नहीं मिली। उसकी बात फोन पर होती थी। आरोपी कभी अपना चेहरा नहीं दिखाता था। केवल डीपी में उसकी तस्वीर दिखती थी।
महिला को लगता था कि मध्य प्रदेश के चर्चित डीएसपी संतोष पटेल से बात कर रही है लेकिन जांच में पता चला कि डीपी पर असली डीएसपी की फोटो लगा कर एमपी का ही एक जेसीबी ऑपरेटर कई साल से उसके साथ ठगी कर रहा था।
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के कुसमी थाने की पुलिस को ठगी की शिकायत मिली। इसमें महिला ने जिस अधिकारी का नाम बताया वह सोशल मीडिया पर 2.2 मिलियन फॉलोअर्स वाले डीएसपी संतोष पटेल थे। इसके बाद छत्तीसगढ़ पुलिस की एक टीम बालाघाट पहुंची। छत्तीसगढ़ पुलिस की टीम ने हॉक फोर्स में असिस्टेंट कमांडेंट पद पर तैनात संतोष पटेल से संपर्क किया।
आरोप और दस्तावेज देखकर संतोष पटेल हैरान रह गए। आवेदन में उनकी वर्दी वाली फोटो लगी थी जबकि उन्होंने कभी महिला से संपर्क नहीं किया था। फिर संतोष पटेल ने आरोप लगाने वाली महिला से बात की तो इस बातचीत में भी वह लगातार यही कहती रही कि तुमने ही 72 लाख लिए हैं। हालांकि उसने बात ही बात में यह कहा कि फोन पर बात करने वाला अधिकारी कभी चेहरा नहीं दिखाता था।
इसी से साफ हो गया कि आरोपी कोई और है जो बेहद शातिर तरीके से डीएसपी की फोटो का इस्तेमाल कर महिला से ठगी की है। जांच में पता चला कि असली आरोपी संतोष पटेल पुत्र विश्वनाथ पटेल पड़खुरी पचोखर, चुरहट थाना, जिला सीधी का रहने वाला है। साल 2016 में वह छत्तीसगढ़ में एक सड़क निर्माण प्रोजेक्ट में जेसीबी ऑपरेटर था।
वहीं उसकी पहचान कंजिया गांव की ललकी बाई से हुई जो बकरियां चराती थी। काम खत्म होने के बाद वह अपने गांव लौट गया और कुछ महीनों बाद महिला को फोन करके बोला मैं एमपी पुलिस में डीएसपी बन गया हूं। मेरी नौकरी भी पैसे देकर लगी है, तुम्हारे दोनों बेटों को भी पैसे देकर भर्ती करा दूंगा।
छत्तीसगढ़ पुलिस के अनुसार, आरोपी ने 2018 से 2025 तक महिला से फोन-पे और अन्य माध्यमों से लगभग 72 लाख रुपए लिए। महिला ने रिश्तेदारों से उधार लिया और अपनी जमीन तक बेच दी ताकि बेटे पुलिस में भर्ती हो जाएं। आरोपी लगातार और पैसे मांगता रहा। आखिरकार छत्तीसगढ़ पुलिस ने 12 नवंबर को आरोपी जेसीबी ऑपरेटर को गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ में उसने माना कि उसने महिला से लिए पैसे खर्च कर दिए। अब पुलिस जांच कर रही है कि वह रकम उसने कहां खर्च की। इस पूरे मामले पर डीएसपी संतोष पटेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ पुलिस के दरोगा जी ने मुझे जब फोन कर कहा कि आपके नाम से प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और मुख्यमंत्री कार्यालय से शिकायत मिली है।
छत्तीसगढ़ पुलिस के दरोगा जी ने मुझसे आगे कहा कि शिकायत में कहा गया है कि आपने पुलिस की नौकरी दिलाने के नाम पर एक आदिवासी महिला से 72 लाख रुपए लिए हैं। मैं डर रहा था कि मैंने तो नहीं लिए कहीं मेरे किसी करीबी ने मेरे नाम पर यह फर्जीवाड़ा ना किया हो।
डीएसपी संतोष पटेल ने आगे कहा कि फिर मैंने शिकायत पढ़ी तो पाया कि आरोपी ने कहा था कि वह छत्तीसगढ़ में कुसमी थाने के पास सिपाही के पद पर तैनात था। आरोपी मध्य प्रदेश पुलिस में डीएसपी बना। फिर मैंने वहां के एडिशनल एसपी से बात की। मैं धन्यवाद कर रहा हूं एसपी साहब और कुसमी थाना प्रभारी का जिन्होंने मेहनत कर के सच्चाई निकाली।
डीएसपी संतोष पटेल ने कहा कि आरोपी व्हट्सऐप कॉल पर पीड़ित महिला से बात करता था। ऐसा लग रहा है उसने डीपी पर मेरी फोटो लगाई होगी। दोस्तों यह सीखने वाली बात है कि सरकारी नौकरी की लालच में कभी किसी को पैसा ना दें। मौजूदा वक्त में सारी भर्तियां साफ सुथरी हो रही हैं। बाकायदा परीक्षा पास करने और तमाम छानबीन के बाद ही योग्य उम्मीदवार को नौकरी मिलती है। मैं छत्तीसगढ़ पुलिस को धन्यवाद देता हूं कि उसने पीड़िता को इंसाफ दिलाया है।
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