नई दिल्ली । भारत सरकार ने विदेशी कंपनियों के देश में निवेश करने का प्रतिशत बढ़ा दिया है। ऐसे में कोरोना काल में उम्मीद जगी है कि इस क्षेत्र के बढ़ने से देश में कई लाख लोगों को नया रोजगार मिलेगा। विदेशी कंपनियां अब देश के रक्षा में ऑटोमेटिक रूट से 74 फीसदी निवेश कर सकेंगी। उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने रक्षा क्षेत्र में 74 फीसदी एफडीआई की सूचना जारी कर दी है ।
डीपीआईआईटी ने कहा कि राष्ट्ररीय सुरक्षा को देखते हुए सरकार किसी भी विदेशी निवेश की पड़ताल करने और उसे निरस्त करने का अधिकार रखेगी। एफडीआई के मौजूदा नियमों के तहत रक्षा क्षेत्र में 100 फीसदी निवेश की अनुमति है, लेकिन ऑटोमेटिक रूट से सिर्फ 49 फीसदी निवेश किया जा सकता है। इससे ज्यादा निवेश करने के लिए सरकार से अनुमति लेनी होगी।
नए नियम के अनुसार, विदेशी कंपनियां बिना अनुमति के 74 फीसदी तक निवेश कर सकेंगी और इससे ज्यादा के लिए सरकार से मंजूरी लेनी होगी। हालांकि, कंपनियों को 49 फीसदी तक निवेश के लिए औद्योगिक लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी। बतादें कि मोदी सरकार के इस निर्णय के साथ जहां कई प्रमुख लोग एवं संगठन खड़े हैं वहीं कई संगठन इसके विरोध में भी है । विरोध करनेवालों का सीधा मानना है कि जितना अधिक विदेशी निवेश बढ़ेगा, देश में उनका हस्तक्षेप उतना ही बढ़ता जाएगा, जोकि भारत जैसे विशाल संप्रभु राष्ट्र के हित में नहीं है। इसलिए निवेश की सीमा सरकार को 59 प्रतिशत से अधिक नहीं रखनी चाहिए ।
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