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घर पर कैसे करें पिंडदान और तर्पण – पितृपक्ष में पितरों के लिए घर पर पूजा-पाठ

September 06, 2020

हर साल की तरह इस बार भी पितृपक्ष की परंपरा चल रही है। लेकिन कोरोना महामारी के चलते पिंडदान, तर्पण और इससे जुड़ी कई परंपराएं किसी स्थान पर जाकर नहीं हो पा रही है। गया धाम में भी इस बार तर्पण नहीं हो रहा है। इससे सालों अपने पुरखों के लिए पूजा पाठ की भावना को रखने वालों को काफी दुख हुआ है। गया में भी फाल्गु नदी, अक्षवट और विष्णुपद मंदिर में किसी भी बाहरी के लिए कोई पूजा-पाठ नहीं हो रही है।

देश के कई और स्थानों पर पितृपक्ष में पिंडदान और तर्पण करने की परंपरा है पर इस बार लोग ब्रह्मकपाल, उज्‍जैन और नासिक जैसी जगहों पर भी जाने से बच रहे हैं। पितृपक्ष में पितरों और पुरखों के लिए तर्पण (Tarpan) और पिंडदान का ज्योतिषीय और धार्मिक महत्व है। इसलिए इस बार लोग घरों में रहकर ही पितरों का तर्पण और श्राद्ध (Shradha) कर रहे हैं. पितृपक्ष इस बार 2 सितंबर से शुरू हुआ है और अंतिम पितृ पक्ष की तिथि 17 सितंबर को खत्‍म होगा. ये है पितृपक्ष और पिंडदान का तिथिवार जानकारी।

वैसे कोरोना की वजह से अगर आप कहीं जाकर पिंडदान नहीं कर पा रहे हैं तो रिलीजन वर्ल्ड आपको बताने जा रहा है कि कैसे घर में ही पितरों की पूजा करके आप इस विधान को कर सकते है। जी हां, घर पर रहते हुए तर्पण कर पितरों को खुश किया जा सकता है। इसके लिए सुबह-सुबह तर्पण करने से पहले स्नान करके दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके बैठ जाएं। अपने हाथ में कुश लेकर जल में काले तिल और सफेद फूल मिलाएं. पितरों को यही जल अर्पित करें. इसके बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें. भोजन का दान करने का अलग महात्‍म्‍य है. तर्पण करने वाला व्‍यक्‍ति सात्विक आहार ही ग्रहण करेगा. अगर आपके पास दिन में समय नहीं है तो सूर्यास्त के समय तर्पण करें.

इस प्रकार सांकेतिक पूजा करके आप अपने पितरों के लिए पूजा और प्रार्थना कर सकते है। स्थान पर विधि-विधान से आप पिंडदान करके बहुत सारे लाभ पाते है, पर इस तरह घर पर भी तर्पण करके आप कुछ फल प्राप्त कर सकते है।

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