नई दिल्ली। केंद्र सरकार जल्द ही चेक बाउंस होने को अपराध की श्रेणी से हटा सकती है। वित्त मंत्रालय के आधीन डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज ने इस संबंध में कैबिनेट सचिवालय को पत्र लिखकर ऐसा करने के लिए कहा है। हालांकि यह छूट केवल अस्थाई तौर पर लोगों को मिलेगी, क्योंकि कोरोना वायरस के चलते कई लोगों के व्यापार और रोजगार पर असर पड़ा है।
एक जानकारी के अनुसार सरकार कोरोना संकट में लोगों को राहत देने के लिए चेक या Emi बाउंस जैसे मामलों को अपराध की श्रेणी से हटाने की तैयारी कर रही है। इसके मायने यह हुए कि अब चेक या किस्त बाउंस होने पर जेल की सजा नहीं होगी। सरकार ने चेक बाउंस, कर्ज की किस्त का भुगतान नहीं हो पाने सहित करीब 19 कानूनों के तहत होने वाले हल्के उल्लंघनों को लिस्ट से हटाने का प्रस्ताव किया है।
वैसे सरकार के पास कुछ कानून में बदलाव के सुझाव पहले ही आए हैं। इनमें बीमा कानून, नाबार्ड कानून, राज्य वित्तीय निगम अधिनियम, क्रेडिट इन्फार्मेशन कंपनीज (नियमन) कानून और फैक्टरिंग नियमन कानून को भी शामिल किया गया है। जानकारों का कहना है कि इन कानूनों में कई नियम ऐसे हैं जिनमें छोटे उल्लंघनों को भी क्राइम माना गया है।
फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने इसके बारे में बताया था। उन्होंने कहा था कि ईज ऑफ डुइंग बिजनेस के लिए कारोबार से जुड़े कानून में बदलाव किया जाएगा। सरकार इससे पहले कंपनी कानून के तहत भी इस तरह के कदम उठा चुकी है। कंपनी कानून के तहत भी कई उल्लंघनों को क्राइम से हटा दिया गया है।
फाइनेंस मिनिस्ट्री का कहना है कि इससे कारोबार में बढ़ोतरी होगी और लोगों को अनचाही दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। प्रस्ताव के मुताबिक यह सरकार के सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के उद्देश्य के तहत उठाया गया कदम है।
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