img-fluid

उपचुनाव में 50 से ज्यादा उम्मीदवारों ने छिपाया आय का स्रोत

October 29, 2020

भोपाल। मध्यप्रदेश की 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में राजनीतिक दलों ने न्यायालय और चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों को ठेंगा बताते हुए नियमों में ही सियासी गलियां खोज ली हैं। प्रत्याशी शपथ-पत्र में आधी-अधूरी और गलत जानकारी देने के बाद भी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। इनमें छोटे राजनीतिक दलों के साथ ‘आजाद’ उम्मीदवार आगे हैं। दरअसल, चुनाव में नामांकन पत्र दाखिल करते समय उम्मीदवार शपथ-पत्र में जानकारी तो देते हैं, लेकिन चुनाव आयोग की ओर से उसे कभी क्रॉसचैक नहीं किया जाता। यह जरूर है कि यदि कोई इसमें दी गई जानकारी को गलत ठहराते हुए उसे चुनौती देता है तो आयोग एक्शन लेता है, लेकिन ऐसा बहुत कम मामलों में ही होता है। इसी का लाभ उठाते हुए शपथ-पत्र में आधी-अधूरी व गलत जानकारी देने के बाद भी उम्मीदवार चुनाव लड़ते हैं और जीतकर सदन पहुंचते हैं।

48 ने नहीं दिया पेन नंबर
चुनाव लड़ रहे 48 उम्मीदवारों ने चुनावी शपथ पत्र में पेन नंबर का उल्लेख नहीं किया है। इनमें निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या सबसे ज्यादा 33 है। पेन नहीं देने वालों में कई तो ऐसे भी हैं, जो करोड़पति हैं। इनका पेन नंबर नहीं देना सवाल खड़े करता है।

करोड़पति पर आय नहीं बताई
चुनावी मैदान में उतरे ऐसे उम्मीदवार भी हैं, जो करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं, लेकिन इन्होंने शपथ-पत्र में आय की जानकारी नहीं दी है। इन्हीं में छह उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनके पास दो करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति है, लेकिन उन्होंने आय नहीं बताई। शपथ-पत्र में गलत जानकारी देना अपराध की श्रेणी में आता है। यह नियम उम्मीदवारों पर भी लागू होना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे उम्मीदवारों को चुनाव लडऩे के अयोग्य घोषित कर देना चाहिए। इसके साथ ही हत्या, बलात्कार, तस्करी, डकैती, अपहरण जैसे जघन्य अपराधों के लिए दोषी उम्मीदवारों को स्थाई रूप से अयोग्य घोषित कर देना चाहिए। दागी उम्मीदवारों को मैदान में उतारने वाले राजनीतिक दलों को दी जाने वाली कर में छूट को रद्द कर देना चाहिए।

नामांकन निरस्त हो
रिटायर मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने बताया कि शपथ-पत्र में स्थान खाली छोडऩे पर आवेदन रद्द किए जाने का नियम है। किसी ने गलत जानकारी दी और उसके खिलाफ शिकायत आई, वह सही मिली तो संबंधित का नामांकन निरस्त होता है। चुनाव जीतने के बाद भी इलेक्शन पिटीशन लगाई जा सकती है।

अयोग्य हो सकते हैं
रिटायर जज जस्टिस अभय गोहिल ने बताया कि उम्मीदवार शपथ-पत्र में पूरी जानकारी नहीं देते तो यह उनके लिए घातक हो सकता है। इस आधार पर वे अयोग्य हो सकते हैं। शपथ पत्र में कोई भी कॉलम खाली छोडऩा या जानकारी छिपाने का मतलब है कि आप जानकारी नहीं देना चाहते।

Share:

  • भाजपा-कांग्रेस ने तैनात किया कार्यकर्ताओं की फौज

    Thu Oct 29 , 2020
    भोपाल। विधानसभा उपचुनाव में जनसंपर्क, स्टार प्रचारकों की रैली और आमसभाओं के साथ अब सबसे बड़ी चुनौती कोरोना संक्रमण के बीच एक-एक मतदाता को घर से निकालकर बूथ तक पहुंचाना है। कांग्रेस-भाजपा दोनों ने इसके लिए बूथ मैनेजमेंट की तैयारी भी कर ली है। दोनों पार्टी ने कार्यकर्ताओं की टीम बनाई है, जो मतदाताओं को […]
    सम्बंधित ख़बरें
    लेटेस्ट
    खरी-खरी
    का राशिफल
    जीवनशैली
    मनोरंजन
    अभी-अभी
  • Archives

  • ©2025 Agnibaan , All Rights Reserved