
आगरा: कृषि कानूनों को लेकर आंदोलनरत किसानों में जोश भरने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने स्व. द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की सुप्रसिद्ध कविता वीर तुम बढ़े चलो…में अपने शब्द डालकर Tweet किया। कवि के स्वजन ने कविता की मूल भावना से छेड़छाड़ पर आपत्ति जताते हुए उनसे माफी मांगने की मांग की है। शहर निवासी कवि के पुत्र और आगरा कालेज के पूर्व प्राचार्य डा. विनोद कुमार माहेश्वरी ने कविता को तोड़-मरोड़कर Tweet करने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने Tweet किया कि मेरे पिता बच्चों के गांधी नाम से सुविख्यात साहित्यकार स्व. द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की कालजयी रचना वीर तुम बढ़े चलो… को पढ़कर और प्रेरणा पाकर देश के कोने-कोने में बच्चों की व हम उम्र लोगों की पूरी पीढ़ी प्रौढ़ावस्था को प्राप्त कर चुकी है।
समय के शिलालेख पर अमिट ऐसी रचना को पैरोडी के रूप में आपके द्वारा प्रस्तुत किए जाने से मुझे और मेरे परिवार को पीड़ा हुई है। आप स्वयं विचार करें कि क्या यह कविता और कवि की आत्मा के साथ न्याय है। राहुल गांधी जी आपने कविता का मजाक बनाया है, जो घोर निंदनीय है, इस पर माफी मांगनी चाहिए। कवि के पौत्र डा. प्रांजल माहेश्वरी ने अपनी फेसबुक वाल और Tweet पर इसका विरोध किया है। उन्होंने लिखा है कि यह कविता मेरे दादा स्व. द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी ने लिखी है। मिस्टर राहुल गांधी जी, आपको इसे दिल से सीखने की जरूरत है, क्योंकि जो कविता आपने लिखी है, वह सही पंक्तियां नहीं हैं। सही पंक्ति हैं सामने पहाड़ हो, ङ्क्षसह की दहाड़ हो, तुम निडर हटो नहीं, तुम निडर डटो वहीं।
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