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अयोध्या का मंदिर कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर के जैसे बनना चाहिए: शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद 

सिवनी। अयोध्या में ब्रह्म राम का मंदिर बनना चाहिए वह भी धार्मिक विधि-विधान से। मंदिर की चौड़ाई कम है, लम्बाई बढ़ा दी गई है, इसमें एक साथ भक्तों की संख्या उतनी नहीं आ पायेगी, जितने की उम्मीद की जा रही है। अयोध्या में हिन्दुओं को जमीन तो दे दी गई, लेकिन मुस्लिमों को जो पाँच एकड़ भूमि दी गई है, वह संघर्ष का कारण बनेगा। देश की भाजपा सरकार जिस गौ-हत्या मुद्दे को लेकर सरकार में आयी है वह आज उसी को भूल चुकी है। आज विश्व में भारत माँस सप्लायी के मामले में नम्बर 1 बन चुका है। उक्त बात एक पत्रकार वार्ता में दो पीठों के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने कही।

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि अयोध्या में मंदिर का निर्माण धार्मिक विधि-विधान से मुहूर्त देखकर किया जाना था, जो नहीं किया गया। जिन्हें पदाधिकारी बना दिया गया है वे सब इस मंदिर के निर्माण के योग्य नहीं हैं। आपने कहा कि उन्होंने स्वयं लंबे समय से अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष किया है और उनके वकील ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में 90 दिन की बहस में जिसमें 29 पार्टियाँ शामिल थीं, 24 दिन तक अपना पक्ष रखा। आपने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में भी 46 दिन की बहस में 9 दिन की बहस उनके वकील के द्वारा ही की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय दिया है उसमें मस्जिद पक्षकार को भूमि देने का जो निर्णय हुआ है वह भविष्य में संघर्ष का कारण बनेगा, क्योंकि अयोध्या में मस्जिद तो कभी थी ही नहीं, जो तोड़ी गई थी वह मंदिर ही था।

पत्रकार वार्ता में आपने बताया गया है कि नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब भी मंदिर तोड़े गये थे और वह क्रम आज भी जारी है। अभी तक 50 हजार से अधिक मंदिर तोड़े गये हैं। आपने कहा कि न्यायालय में उन्होंने पक्षकार बनकर 350 से अधिक प्रमाण दिये हैं। उन्हीं प्रमाणों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय दिया है। महाराजश्री ने कहा कि हमारी और अन्य साधु-संतों की मंशा है कि अयोध्या का मंदिर कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर के जैसे बनना चाहिए, जिसमें एक साथ लाखों लोग दर्शन कर सकते हैं।

दो पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी ने कहा कि भाजपा जिन मुद्दों को लेकर सत्ता में बैठी है वह उन मुद्दों को भूल चुकी है। न तो गंगा की सफाई हुई और न ही गौ-हत्या बंद हुई। आज भी हमारे देश में गौ-हत्या जारी है। महाराजश्री ने आरोप लगाया है कि भाजपा की मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भगवान राम का मंदिर नहीं बल्कि स्मारक बनाना चाहती है, जिस मंदिर के लिये 500 साल से संघर्ष हो रहा था आज भाजपा उस मुद्दे को भुना रही है। भाजपा की मातृ संस्था को तो अभी 100 साल भी पूरे नहीं हुये हैं। आज भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लोग दरवाजा खट-खटाकर चंदा वसूल कर रहे हैं। इस मंदिर के लिए देश के जिन तीन लाख से अधिक लोगों का बलिदान हुआ है, उसमें इस संस्था से जुड़े कोई भी नहीं हैं।

महाराजश्री ने कहा कि आज दिल्ली में जवान और किसान आमने-सामने हैं। आजादी के बाद जब इस देश में अन्न की कमी हुई थी और देश चारों तरफ से असुरक्षित था, तब लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान और जय किसान नारा दिया था, लेकिन आज जवान और किसानों को आमने-सामने खड़ा कर दिया गया है। लोकतंत्र में ऐसा नहीं होना चाहिए। लोक की माँग को सरकार ध्यान में रख पूरा करती है, लेकिन यहाँ ऐसा नहीं है। किसान कानूनों को लागू कर किसान को थोप दिया गया है।

महिलाओं पर बढ़ रहे अत्याचार के संबंध में जब महाराजश्री से प्रश्न पूछा गया तो आपने कहा कि महिलाओं के प्रति जो आदर की भावना होनी चाहिए वह शिक्षा में नहीं है। धर्म और नैतिकता का स्थान किताबों में रहा ही नहीं। हम सनातनी लोग कन्या को दुर्गा, विवाहित को सौभाग्यवती और वृद्धा को माँ कहकर सम्बोधित करते हैं। नारी के रूप में भगवान को देखते हैं और नारी को माँ मानते हैं। सनातन धर्म ही एक ऐसा धर्म है जो पुर्नजन्म की थ्योरी को मानता है। सनातनी यह मानता है कि हम अच्छे कर्म करेंगे तो हमारा अगला जन्म अच्छा होगा और यदि इस जन्म में बुरा हो रहा है तो वह पूर्व जन्म का फल है। ऐसा अन्य और कोई धर्म नहीं मानता। एजेेंसी

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